ओडिशा में खरीफ सीजन के दौरान 73.5 लाख टन धान की रिकॉर्ड खरीद हुई है. अब इस खरीद ने ने राज्य के लिए सामने नई समस्या खड़ी कर दी है. राज्य में धान का ढेर लग गया है और केंद्र सरकार को आपातकालीन मैसेज यानी एसओएस भेजना पड़ा है. राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को एसओएस भेजा गया है ताकि ओडिशा से ज्यादा मात्रा में कस्टम-मिल्ड चावल केंद्रीय पूल में भेजा जा सके.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (ओएससीएससी) के साथ रजिस्टर्ड राइस मिलर्स की स्टोरेज कैपिसिटी (भंडारण क्षमता) पूरी तरह से तैयार है. लेकिन 15 मई से रबी धान की खरीद ने परेशानी बढ़ा दी है. राज्य में भंडारण क्षमता राज्य सरकार और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को कस्टम-मिल्ड चावल (सीएमआर) की मिलिंग और डिलीवरी के लिए तैयार की गई है. राज्य और एफसीआई को 16.25 लाख टन सीएमआर चावल की सप्लाई कर दी गई है. इसके बाद भी 48.5 लाख टन से ज्यादा धान जोकि 33 लाख टन चावल के बराबर है, का भंडार पड़ा हुआ है जिस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया गया हे.
ऑल ओडिशा राइस मिलर्स एसोसिएशन (एओआरएमए) ने चावल की निकासी में तेजी लाने के लिए एफसीआई पर दबाव बनाने के मकसद से खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण (एफएसएंडसीडब्ल्यू) विभाग के साथ मामला उठाया है. एफसीआई ने राज्य से हर महीने 1.7 लाख टन सीएमआर चावल उठाने का लक्ष्य तय किया है. लेकिन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के तहत आने वाले एफसीआई अपने गोदामों में भंडारण की जगह की कमी का सामना कर रहा है. इसके चलते चावल की निकासी भी बहुत कम है.
सूत्रों की मानें तो केंद्रीय एजेंसी को 7 मई 2025 तक राज्य से खरीफ 2024-25 सीजन के लिए 10.20 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले 7.76 लाख टन सीएमआर चावल हासिल हुआ है. राज्य सरकार ने चालू खरीद सत्र के दौरान 73.5 लाख टन चावल खरीदा है जो 49.6 लाख टन चावल के बराबर होगा. राष्ट्रीय और राज्य खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों और पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत ओडिशा की वार्षिक खपत लगभग 23 लाख टन है जिससे 26 लाख टन का अधिशेष बचता है. इसके अलावा, राज्य को चालू रबी खरीद के दौरान 10 लाख टन चावल खरीदने की उम्मीद है, जिससे कुल अधिशेष 36 लाख टन हो जाएगा.
अधिकारियों की मानें तो एफसीआई आमतौर पर ओडिशा में ज्यादा मात्रा में उत्पादित सामान्य किस्म (ज्यादातर उबले हुए चावल) की तुलना में ग्रेड-ए चावल को प्राथमिकता देता है. ग्रेड-ए किस्म के चावल का उत्पादन गंजम, रायगढ़ा, बलांगीर और कोरापुट जैसे कुछ जिलों तक ही सीमित है. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इस साल एफसीआई राज्य से केंद्रीय पूल में कितना चावल उठाएगा. अब इसके डिपो से धीमी निकासी चिंता का विषय बन गई है.
2 मई को रबी धान खरीद पर अंतर-मंत्रालयी समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई. बैठक में बताया गया कि रेलवे से रेक न मिलने की वजह से एफसीआई के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. इससे चावल का उठाव और ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित हुआ है. एफएसएंडसीडब्ल्यू विभाग के प्रमुख सचिव संजय सिंह ने कहा, 'हमने एफसीआई के साथ इस मामले पर चर्चा की है जिसने हर महीने सीएमआर कोटा 1.7 लाख टन से बढ़ाकर 2.20 लाख टन करने पर रजामंदी दी है. इसके अलावा, निगम ने राज्य से अधिक उबले हुए चावल की मांग की है.'
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