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मक्का की उपज 90 प्रतिशत तक गिरा देता है उत्तरी झुलसा रोग, लक्षण और बचाव का तरीका जानिए

मक्का की उपज 90 प्रतिशत तक गिरा देता है उत्तरी झुलसा रोग, लक्षण और बचाव का तरीका जानिए

आजकल मक्के की विभिन्न प्रजातियों का अलग-अलग तरीके से उपयोग किया जाता है. मक्के को पॉपकॉर्न, स्वीटकॉर्न और बेबीकॉर्न के रूप में मान्यता दी गई है. जिस वजह से इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में उत्तरी झुलसा रोग मक्का की उपज को 90 प्रतिशत तक गिरा सकता है.

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मक्के की खेती के लिए ये रोग है घातक मक्के की खेती के लिए ये रोग है घातक

मक्के को विश्व में खाद्यान्नों की रानी कहा जाता है क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता खाद्य फसलों में सबसे अधिक है. पहले मक्के को खासकर गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था, जबकि अब ऐसा नहीं है. अब इसका उपयोग मानव भोजन (25%) के साथ-साथ मुर्गीपालन (49%), पशु आहार (12%), स्टार्च (12%), शराब (1%) और बीज (1%) के रूप में भी किया जाता है. इसके अलावा मक्के का उपयोग तेल, साबुन आदि बनाने में भी किया जाता है. भारत में मक्के से 1000 से अधिक उत्पाद बनाये जाते हैं. मक्के का केक अमीर लोगों का मुख्य नाश्ता है. मक्के का पाउडर छोटे बच्चों के लिए एक पौष्टिक आहार है और इसके दानों को भूनकर भी खाया जाता है.

आजकल मक्के की विभिन्न प्रजातियों का अलग-अलग तरीके से उपयोग किया जाता है. मक्के को पॉपकॉर्न, स्वीटकॉर्न और बेबीकॉर्न के रूप में मान्यता दी गई है. जिस वजह से इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में उत्तरी झुलसा रोग मक्का की उपज को 90 प्रतिशत तक गिरा सकता है. आइए जानते हैं उत्तरी झुलसा रोग के लक्षण और बचाव के तरीके.

क्या है उत्तरी झुलसा रोग?

कवक रोगों की वजह से मक्का की फसल काफी प्रभावित होती है. इनमें से उत्तरी झुलसा या टर्सिकम लीफ ब्लाइट महत्वपूर्ण रोगों में से एक है. इसका संक्रमण 17 से 31 डिग्री सेल्सियस तापमान, सापेक्षिक आर्द्रता (90-100 प्रतिशत), गीली और आर्द्र के मौसम में अनुकूल होता है. यह रोग फोटोसिंथेसिस को प्रभावित करता है. इसकी वजह से उपज में 28 से 91 प्रतिशत तक की कमी आती है.

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उत्तरी झुलसा रोग के लक्षण

संक्रमण के लगभग 1-2 सप्ताह बाद, पहले लक्षण छोटे हल्के हरे से भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं. इस रोग के कारण अत्यधिक संवेदनशील पत्तियों पर सिगार के आकार के, एक से छह इंच लंबे भूरे-भूरे रंग के घाव हो जाते हैं. जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, घाव भूसी सहित सभी पत्तों में फैल जाता है. इसके बाद गहरे भूरे रंग के बीजाणु उत्पन्न होते हैं. घाव की वजह से पत्तियां झड़ने लगती हैं. इससे उपज का भारी नुकसान होता है.

कैसे करें रोकथाम?

  • उत्तरी झुलसा को नियंत्रित करने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावी तरीका प्रतिरोधी किस्में हैं.
  • मक्का की समय पर बुआई करने से उत्तरी झुलसा (टीएलबी) रोग से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.
  • मक्का के अवशेषों को नष्ट करने के बाद फसल को संक्रमित करने वाले उपलब्ध उत्तरी झुलसा (टीएलबी) रोगजनक की मात्रा घटती है.
  • एक से दो वर्ष का फसलचक्रण अपनाने और जुताई द्वारा पुरानी मक्का फसल अवशेष नष्ट करने से रोग में कमी आती है.
  • खेतों में पोटेशियम क्लोराइड के रूप में पर्याप्त पोटेशियम का इस्तेमाल करने से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है.
  • कवकनाशी जैसे मैंकोजेब (0.25 प्रतिशत) और काबेंडाजिम का नियमित रूप से उपयोग करने से रोगों की रोकथाम की जा सकती है.

भारत में मक्के की खेती

भारत में लगभग 75% मक्के की खेती खरीफ सीजन में होती है. पिछले साल कुछ सालों में 81.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का उगाया गया था. जिसका उत्पादन 197.3 लाख टन और उत्पादकता 2414 किलोग्राम/हेक्टेयर थी. विश्व के कुल मक्का उत्पादन में भारत का योगदान 3% है. अमेरिका, चीन, ब्राजील और मैक्सिको के बाद भारत पांचवें स्थान पर है. सभी खाद्य फसलों की तरह मक्का भी भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है. मक्का मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाया जाता है.