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येलो रिवॉल्यूशन ने कश्मीर के किसानों की बदली तकदीर, दोगुनी तक बढ़ी आय

येलो रिवॉल्यूशन ने कश्मीर के किसानों की बदली तकदीर, दोगुनी तक बढ़ी आय

जम्मू-कश्मीर में पूर्व में कई क्रांति शुरू की गई जिसमें श्वेत क्रांति के साथ हरित क्रांति का नाम है. श्वेत क्रांति से दूध का उत्पादन बढ़ाया गया जबकि हरित क्रांति से खेती में बड़ा बदलाव आया. इसके बाद कश्मीर में सरसों की खेती को बढ़ाने के लिए ऑपरेशन येलो की शुरुआत की गई है.

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कश्मीर में आजकल बड़े पैमाने पर हो रही सरसों की खेती कश्मीर में आजकल बड़े पैमाने पर हो रही सरसों की खेती

कश्मीर घाटी का नाम आते ही दिमाग में केसर और उसकी महकती खेती का खयाल आता है. इसकी वजह है कि कुछ साल पहले तक केसर की खेती यहां सबसे अधिक हो रही थी. किसान बड़ी मात्रा में केसर उगाते थे क्योंकि उनकी कमाई का यह सबसे बड़ा जरिया हुआ करता था. मगर अब हालात बदल गए हैं. अब घाटी में एक साथ दो तरह की खेती की जा रही है. किसान अब केसर के साथ बड़ी मात्रा में सरसों की खेती कर रहे हैं. जैसे पहले केसर के लहलहाते खेत दिखते थे, वैसे ही अब कश्मीर में आपको दूर-दूर तक पीली सरसों के खेत दिखाई देंगे. इस सरसों ने किसानों की आय बढ़ाने में भी बड़ी मदद की है.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर कृषि विभाग ने 'ऑपरेशन येलो' शुरू किया है जिसने किसानों को सरसों की खेती करने के लिए प्रेरित किया है. इसका नतीजा है कि घाटी के कई किसान अब इस खेती में शामिल हुए हैं. घाटी ही नहीं बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर में सरसों की खेती को तवज्जो दी जा रही है. हालिया खेती से पता चला है कि पूरे जम्मू-कश्मीर में सरसों की सबसे अच्छी क्वालिटी पैदा करने की भरपूर क्षमता है. यहां के सरसों में तेल की मात्रा भी अच्छी मिल रही है. यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सरसों बड़ा रोल निभा रही है.

सरसों की खेती ने जम्मू-कश्मीर की खूबसूरती को भी बढ़ाया है. इसका पीला रंग देश के ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. टूरिस्ट जैसे केसर की खेती को देखने आते हैं, वैसे ही अब सरसों को देखने आते हैं. कश्मीर में इस सीजन में आप जहां भी जाएं, आपको सड़कों के दोनों ओर सरसों के लहलहाते पीले फूल नजर आएंगे. इसके पीछे जम्मू-कश्मीर कृषि विभाग का बड़ा प्रयास है जिसने पिछले दो साल में किसानों के बीच सरसों के बीज वितरित किए और खेती के लिए प्रोत्साहित किया.

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सरसों की खेती न केवल किसानों की आय दोगुनी कर रही है बल्कि पर्यटन को बढ़ाने में भी इससे बड़ी मदद मिल रही है. जम्मू-कश्मीर में पूर्व में कई क्रांति शुरू की गई जिसमें श्वेत क्रांति के साथ हरित क्रांति का नाम है. श्वेत क्रांति से दूध का उत्पादन बढ़ाया गया जबकि हरित क्रांति से खेती में बड़ा बदलाव आया. इसके बाद कश्मीर में सरसों की खेती को बढ़ाने के लिए ऑपरेशन येलो की शुरुआत की गई है. सरसों ने कश्मीर के किसानों की आमदनी बहुत हद तक बढ़ा दी है. जिस तरह से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरसों तेल के दाम बढ़े हैं, उसे देखते हुए अधिक से अधिक किसान कश्मीर में सरसों उगाने लगे हैं.

सरसों से होने वाली आमदनी के बारे में एक किसान बताते हैं कि एक हेक्टेयर से आराम से दो लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है. यहां के किसानों का कहना है कि घाटी में सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए इलाके के नजीर ने कड़ी मेहनत की है. उन्होंने घर-घर जाकर जमींदारों को समझाया और सरसों की खेती के लिए प्रेरित किया. नजीर ने जमींदारों को सरसों की खेती की तैयारी के बारे में बताया और इसके लिए किसानों को तैयार किया.

यहां के किसान खजर मोहम्मद नाइकू कहते हैं, सरसों की खेती से अब दोगुना फायदा हो रहा है. पिछले साल की तुलना में इस वर्ष सरसों की खेती दोगुनी की है. सरसों से बहुत फायदा हुआ है, इसीलिए इस साल भी अधिक मात्रा में सरसों लगाया है. 

सरसों की खेती के बारे में चौधरी इकबाल, डायरेक्टर एग्रीकल्चर जम्मू कश्मीर ने भी अपनी राय रखी और बताया कि किसान इसके लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं. पहले यहां की जमीनें खाली रहती थीं, लेकिन अब रबी के सीजन में सरसों की बड़ी मात्रा में खेती की जा रही है. कश्मीर में सर्दियों में दो साल पहले तक 79 परसेंट तक खेत खाली रहते थे. फिर कृषि विभाग की मदद से एक पहल शुरू की गई क्योंकि यहां की मिट्टी सरसों की काश्तकारी के लिए बहुत अच्छी है.

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चौधरी इकबाल कहते हैं, सरकार ने नेशनल ऑयलसीड मिशन शुरू किया है जिसे देखते हुए जम्मू-कश्मीर कृषि विभाग ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में लिखा गया कि जम्मू-कश्मीर भी तिलहन की खेती का हिस्सा बनना चाहता है, लेकिन इसके लिए बीज की बहुत कमी है. केंद्र सरकार ने फौरन इस आग्रह को माना और जम्मू-कश्मीर के लिए 1800 क्विंटल बीज उपलब्ध कराया. इसकी मदद से कश्मीर में पहले होने वाली 30 हजार हेक्टेयर में सरसों की खेती को बढ़ाकर एक लाख हेक्टेयर से भी अधिक कर दिया गया. कृषि अधिकारी के मुताबिक, आज कश्मीर में डेढ़ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती की जा रही है. इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है.