पटना में पहली बार लीची क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन, शाही लीची की ब्रांडिंग नहीं होने से किसान चिंतित

पटना में पहली बार लीची क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन, शाही लीची की ब्रांडिंग नहीं होने से किसान चिंतित

बिहार की शाही लीची की मांग बाढ़ रही है. इसके साथ ही लीची की बढ़ती विपणन और निर्यात क्षमता के बारे में किसानों और व्यापारियों के बीच जागरूकता लाने के लिए पटना में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया.

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पटना में पहली बार लीची क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन, शाही लीची की ब्रांडिंग नहीं होने से किसान चिंतितपटना में पहली बार लीची क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन

बिहार में पहली बार पटना के बामेती सभागार में लीची क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन के जरिये किसान और व्यापारियों को एक मंच देने का प्रयास किया गया. वहीं लीची की बढ़ती विपणन और निर्यात क्षमता के बारे में किसानों और व्यापारियों को जानकारी दी गई. इस मौके पर कृषि विभाग के निदेशक डॉ आलोक रंजन घोष ने कहा कि उत्पादन लागत में वृद्धि होने के कारण किसानों की आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पा रही है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए उद्यानिक फसलों के उत्पादन पर जोर देना होगा. वहीं किसानों ने बताया कि शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. लेकिन इसकी ब्रांडिंग नहीं हो पा रही है. साथ ही मौसम में बदलाव की वजह से चाइना लीची की खेती प्रभावित हुई है.

बिहार में करीब 37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 3.08 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है, जो पूरे देश में उत्पादित लीची का 42 प्रतिशत है. राज्य में लीची का उत्पादन करीब 26 जिलों में होता है, जबकि बुढ़ी गंडक के किनारे वाले मुजफ्फरपुर और आस-पास के क्षेत्रों में नमी की स्थिति और कैल्शियम की अच्छी मात्रा वाली जलोढ़ मिट्टी होने के कारण इन क्षेत्रों में लीची का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सर्वाधिक है. इस सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों के 130 लीची उत्पादक किसान और स्थानीय व्यापारी गण मौजूद रहे. इस मौके पर Bihar’s Litchi at a glance’ नामक पुस्तिका का लोकार्पण किया गया.

विदेशों में बिहारी लीची की बढ़ी मांग

कृषि निदेशक आलोक रंजन घोष ने कहा कि इस तरह के आयोजन से देश और विदेश में किसानों के उनके उत्पाद के लिए सीधे उद्यमियों से जुड़ने के साथ-साथ उत्पाद की गुणवत्ता के लिए बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी प्राप्त होती है. वहीं उद्यान विभाग के निदेशक अभिषेक कुमार ने कहा कि  देश में लीची के उत्पादन में बिहार शीर्ष स्थान पर है. आजीविका सृजन के साथ निर्यात की व्यापक संभावनाएं हैं. राज्य सरकार और एपीडा के सहयोग से विगत वर्षों में शाही लीची अंतरराष्ट्रीय बाजार में महत्वपूर्ण स्थान बना पाई है. गत वर्ष शाही लीची का निर्यात मध्य-पूर्व देशों जैसे बहरीन, दुबई और यूरोप के देशों में हुआ है. वहीं इस साल भी लीची की मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी बढ़ी है.

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राज्य में जल्द शुरू हो जाएगा पैक हाउस

राज्य में लीची के लिए बाजार और निर्यात के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए उद्यान निदेशालय द्वारा दरभंगा जिला में एपीडा के सहयोग से निर्यात पैक हाउस विकसित किया जा रहा है. इसके साथ ही पटना और बिहटा में निर्यात पैक हाउस भी कुछ महीनों में चालू हो जाएगा. ये सभी पैक हाउस अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे, जहां पर फल और सब्जियों के ग्रेडिंग, सॉर्टिंग और पैकेजिंग की सुविधाएं एक स्थान पर ही प्राप्त हो जाएगी. यह निर्यात के लिए एक नया आयाम साबित होगा. उद्यान विभाग के निदेशक में कहा कि राज्य में लीची आधारित चार फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का गठन मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, शिवहर और सीतामढ़ी जिलों में किया गया है, किसान के इन समूहों को विभाग की ओर से लीची में मूल्य-संवर्धन के लिए 90 प्रतिशत सहायतानुदान दिया जा रहा है.

शाही लीची के ब्रांड प्रमोशन की रफ्तार धीमी

बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि मुजफ्फरपुर की शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. लेकिन शाही लीची का ब्रांड प्रमोशन नहीं हो रहा है. पिछले साल केवल एक करोड़ रुपये तक ही लीची का निर्यात दूसरे देशों में हो पाया. अगर ब्रांड प्रमोशन होता तो यह राशि बढ़ जाती. वहीं उद्यान विभाग के निदेशक ने भी कहा कि जिस रफ्तार से शाही लीची का प्रमोशन करना चाहिए. वह रफ्तार नहीं है. आने वाले समय में इस पर काम किया जाएगा. वहीं सिंह ने कहा कि इस साल मौसम में हुए बदलाव की वजह से चाइना लीची का उत्पादन 60 प्रतिशत से कम हुआ है. 

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