केंद्र सरकार ने टूटे हुए चावल और गेहूं के निर्यात करने की अनुमति दे दी है. वह नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से 5 देशों लगभग 9 लाख टन टूटे हुए चावल निर्यात करेगी. इसके अलावा भारत ने अपने पड़ोसी देश भूटान को 34,000 टन से अधिक गेहूं और गेहूं उत्पादों के निर्यात का ऐलान किया है. यानी अब भूटान के साथ- साथ अन्य पांच देश भी भारत के चावल और गेहूं खाएंगे.
कहा जा रहा है कि वाणिज्य मंत्रालय ने दूसरे देशों के अनुरोध के आधार पर चावल और गेहूं के निर्यात करने की अनुमति दी है. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, उसने मानवीय और खाद्य सुरक्षा के आधार पर टूटे हुए चावल, गेहूं और गेहूं उत्पादों के निर्यात के लिए कोटा आवंटन निर्धारित दिशा निर्देशों और प्रक्रियाओं को भी वापस ले लिया है.
सरकार ने गाम्बिया में 50,000 टन टूटे हुए चावल निर्यात करने का फैसला किया है. कहा जा रहा है कि भारत, गाम्बिया को एक बार में पूरा चावल निर्यात नहीं करेगा. वह 6 महीने में नियम के तहत पूरा चावल भेजेगा. इसके अलावा भूटान को एनसीईएल के माध्यम से 48,804 टन भारतीय चावल बेचा जाएगा. साथ ही सरकार भूटान को 14,184 टन गेहूं, 5,326 टन आटा और 15,226 टन मैदा/सूजी का भी निर्यात करेगी.
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खास बात यह है कि कुछ निर्यातकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में निर्यात कोटा आवंटन की प्रक्रियाओं को चुनौती देते हुए मामले दायर किए थे, जो पड़ोसी देशों के शिपमेंट के पिछले अनुभव पर आधारित थे. सरकार द्वारा स्वीकृत 898804 टन टूटे चावल में से 5 लाख टन इस शर्त के साथ आवंटित किया गया है कि उसका निर्यात अगले छह महीनों में होगा. इसके अलावा भारत ने इंडोनेशिया के लिए 2 लाख टन और माली के लिए 1 लाख टन टूटे हुए चावल के निर्यात की अनुमति दी है.
बता दें कि सरकार द्वारा गुरुवार को टूटे हुए चावल निर्यात को लेकर एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा कि इस अधिसूचना (30 नवंबर) के परिणामस्वरूप, व्यापार नोटिस संख्या 08/2023 दिनांक 20 जून, 2023 और व्यापार नोटिस संख्या 17/2023 और 18/2023 दिनांक 28 जुलाई 2023 को निरस्त कर दिया गया है.
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