धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय पूल में रिकॉर्ड 8.3 मिलियन टन चावल बेचने का योगदान दिया है, जो राज्य के 7.82 मिलियन टन उत्पादन से अधिक है. कई राज्यों में खरीद में गिरावट के बीच केंद्र को यहां से उत्पादन से अधिक अनाज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, शुरुआत में, सरकार ने 2022-23 के दौरान हुई 5.865 मिलियन टन की कुल खरीद को ध्यान में रखते हुए राज्य से 6.1 मिलियन टन खरीदने का लक्ष्य रखा था. इस बीच विशेषज्ञों ने चावल की संपूर्ण खरीद में गिरावट का अनुमान लगाया है, क्योंकि प्रमुख उत्पादक पश्चिम बंगाल में खरीद में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है.
उधर, तेलंगाना में रबी फसल से चावल की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ 2023-24 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में कुल खरीद 30 अप्रैल तक 47.03 मिलियन टन (एमटी) रही. जो पिछले साल के मुकाबले जो 6 प्रतिशत कम है. एक साल पहले यह कुल 49.88 मिलियन टन थी, हालांकि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) का दायित्व निभाने सहित सभी कल्याणकारी कार्यक्रमों को चलाने के लिए सरकार को सालाना लगभग 40-41 मिलियन टन की आवश्यकता होती है.
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इस साल का लक्ष्य खरीफ की फसल से 52.485 मिलियन टन और रबी सीजन से 10.315 मिलियन टन खरीद का है. जानकारी के मुताबिक 30 अप्रैल तक चावल की मौजूदा खरीद में खरीफ की फसल से 46.132 मिलियन टन चावल शामिल है, जो एक साल पहले 49.192 मिलियन टन से 6 प्रतिशत कम है. जबकि रबी की फसल से 0.902 मिलियन टन चावल शामिल है, जो एक साल पहले 0.685 मिलियन टन से 32 प्रतिशत अधिक है.
सरकार ने 2022-23 में खरीफ, रबी और जायद सभी मौसमों से कुल 56.87 मिलियन टन चावल खरीदा था. आधिकारिक सूत्र ने कहा, "अगर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत गेहूं के आवंटन की बहाली होती है, तो चावल की वार्षिक मांग कम हो सकती है. अगले महीने गेहूं की खरीद समाप्त होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी."
पश्चिम बंगाल में खरीफ चावल की खरीद 31 मई तक और असम में 30 जून तक जारी रहेगी, जबकि अन्य सभी राज्यों में यह पहले ही खत्म हो चुकी है. उधर, खरीफ चावल खरीद के दौरान आंध्र प्रदेश में 2.5 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 1.44 मिलियन टन और तेलंगाना में 0.5 मिलियन टन के मुकाबले 3.172 मिलियन टन ही खरीदा जा सका है. इसी तरह, उत्तर प्रदेश में लक्ष्य के मुकाबले 0.9 मिलियन टन, ओडिशा में लगभग 0.5 मिलियन टन, महाराष्ट्र में 0.3 मिलियन टन और मध्य प्रदेश में लगभग 0.6 मिलियन टन खरीद की कमी रही.
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