केला एक ऐसी फसल है जिसकी मांग बारह महीने बनी रहती है. अगर इसकी अच्छी देखभाल करें तो अच्छी गुणवत्ता का केला पैदा होगा, जिसका दाम अच्छा मिलेगा. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च-अप्रैल के महीने में जब तापमान बढ़ने से मिट्टी में नमी की कमी हो जाती है, अच्छी गुणवत्ता के केले की पैदावार लेने के लिए, इस समय खेत में सही सिंचाई प्रबंधन करना चाहिए. सिंचाई 5-6 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए. इस द्विमाही,दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों जैसे कावेरी नदी के किनारों पर मार्च में (रोबस्टा, ड्वार्फ कैवेंडिश, ने पूवान) तथा पालिनी की निचली पहाड़ियों पर अप्रैल में (वान, रास्थली, कारपुरावाल्ली) केले की रोपाई के लिए उपयुक्त है. सूखी एवं रोगग्रस्त पत्तियों को समय-समय पर हटाते रहना चाहिए. ऐसा करने से हवा एवं प्रकाश नीचे तक पहुंचता रहता है, जिससे रोगों और कीटों की संख्या में कमी आती है.
केले की अधिकतम उपज के लिए एक समय में कम से कम 13-15 स्वस्थ पत्तियों का होना आवश्यक होता है. यदि पत्तियों या पौधों में किसी भी प्रकार का सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दिखाई दे तो अविलंब उस कमी को दूर करने के लिए उसका छिड़काव करें. जब केले की फसल को खुंटी फसल के रुप में लेते हैं तो उसमें आभासी तना बेधक कीट की समस्या देखने को मिलती है. आभासी तना कीट से ग्रसित पौधे को आभासी तना के आधार से काटें और 100 मिलीलीटर बेवेरिया बेसियाना (3 मि.ली. प्रति लीटर) या क्लोरपाइरीफॉस दवाई का छिड़काव करें.
ये भी पढ़ें: Onion Export Ban: जारी रहेगा प्याज एक्सपोर्ट बैन, लोकसभा चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को दिया बड़ा झटका
इसके अतिरिक्त, इस कीट से बचाव के लिए क्लोरोपाइरीफोस (2.5 मिली प्रति लीटर +1 मिली स्टिकिंग एजेंट) या एजेडिरैक्टिन 1 प्रतिशत (2.5 मि.ली. प्रति लीटर) 5 महीने पुराने केले के तने पर रगड़कर लगाया जा सकता है. गुच्छों की तुड़ाई के बाद, आभासी तने को 30 सेंमी लंबाई के टुकड़ों में काटा जा सकता है और कीट को पकड़ने करने के लिए जाल के रूप में उपयोग किया जाता है. इस कीट की उग्रता कम करने के लिए आवश्यक है कि केले के बाग की निराई-गुड़ाई नियमित रूप से की जाए.
मार्च के प्रथम से केले के बाग में साप्ताहिक अंतराल पर सिंचाई करें. केले के बागों में नाइट्रोजन की 25 ग्राम (55 ग्राम यूरिया) मात्रा पौधे से 40-50 सें.मी. दूर गोलाई में डालकर चारों तरफ गुड़ाई कर मिट्टी में मिला दें तथा सिंचाई कर दें. केवल एक तलवारी पत्ती (भूस्तारी) को छोड़कर पौधे के आधार से निकले वाली अन्य पत्तियों को काट दें, क्योंकि यही भूस्तारी नए पौध बनाने के लिए सर्वथा उपयुक्त होती है. नाइट्रोजन की 60 ग्राम मात्रा प्रति 10 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें. बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई का कार्य करें.
ये भी पढ़ें: नासिक की किसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-किसानी से रखना चाहती हैं दूर
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today