रबी सीजन की दूसरी प्रमुख फसल चना का भाव इस साल अच्छा मिल रहा है. इसके उत्पादक किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है. वजह यह है कि चने का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा है. किसानों को प्रति क्विंटल छह सौ रुपये से ज्यादा का फायदा हो रहा है. बाजार में चना के भाव 6200 रुपये और उससे भी अधिक चल रहा है. जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य प5440 रुपये प्रति क्विंटल है. ऐसे में एमएसपी पर उपज बेचने के लिए सरकारी काउंटर पर जाने की बजाय मंडियों में जा रहे हैं. यही कारण है कि रजिस्ट्रेशन के बावजूद राजस्थान के सीकर जिले में चने की सरकारी खरीद नाममात्र की भी नहीं हुई है. जिले में रबी सीजन के दौरान 57000 हेक्टेयर में चना की बुवाई की गई थी. इसमें बंपर पैदावार हुई है.
प्रदेश में चना खरीद के लिए 4,52,365 मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है लेकिन जिस तरह से बाजार में इसका भाव एमएसपी से ज्यादा है उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि यह खरीद पूरी हो पाएगी. किसानों के अनुसार बुवाई से लेकर अब तक अनुकूल मौसम के कारण चना की गुणवत्ता पिछले कई सालों की तुलना में बेहतर है. वहीं एमएसपी पर बेचने पर भुगतान में देरी की आशंका से किसान रजिस्ट्रेशन के बावजूद सरकार को चना नहीं बेच रहे हैं. बाजार में उन्हें बहुत अच्छा भाव मिल रहा है.
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समर्थन मूल्य पर चना और सरसों की खरीद के लिए नोडल एजेंसी राजफैड ने किसानों के रजिस्ट्रेशन की सीमा को 10 प्रतिशत बढ़ा दिया है. जिससे प्रदेश में चना व सरसों के लिए 68,386 किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा. केन्द्र सरकार की ओर से इस बार सरसों व चना का समर्थन मूल्य 5650 रुपये एवं 5440 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. चना प्रमुख दलहन फसल है. इस समय भारत सरकार दालों का खूब आयात कर रही है इसलिए चने का दाम बाजार में बढ़ा हुआ है.
सहकारी समितियां सीकर के उप रजिस्ट्रार महेन्द्रपाल सिंह का कहना है कि जिले में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चने की खरीद के लिए 21 खरीद केंद्र बनाए हैं. इन खरीद केंद्रों पर चना की खरीद शून्य है. समर्थन मूल्य पर चना बेचने के लिए जिले के 2193 किसानों ने अब तक रजिस्ट्रेशन करवाया है. वहीं 561 किसानों ने समर्थन मूल्य पर सरसों बेची है. राजस्थान प्रमुख चना उत्पादक राज्य है लेकिन बाजार में किसानों को एमएसपी से ज्यादा दाम मिल रहा है इसलिए सरकारी खरीद नहीं हो रही है.
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