केंद्र सरकार दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए किसानों को दालों की बुवाई के प्रेरित कर रही है. इसके लिए पैक्स पर किसानों को कम कीमत पर दालों के बीज, उर्वरक और कीटनाशक समेत कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है. अब केंद्र ने कहा है कि दालों की उपज की सरकारी खरीद 25 फीसदी नहीं बल्कि पूरी 100 फीसदी की जाएगी. किसानों से ऑनलाइन पोर्टल पर बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया है. सरकार किसानों से दाल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर करेगी.
दाल उत्पादन में बढ़ोत्तरी के साथ ही सरकारी खरीद ज्यादा करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है. बुवाई रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत देशभर में 150 से अधिक बीज केंद्र स्थापित कर रखें हैं. जबकि, ऑनलाइन भी बीजों, उर्वरकों की उपलब्धता आसान की जा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार दालों का उत्पादन 2014 में 171 लाख टन था, जो 60 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 270 लाख टन हो गया है. खपत अधिक होने के चलते दालों का आयात अभी भी करना पड़ रहा है.
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि अगले 3 वर्षों में दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 2027 तक अरहर यानी तूर दाल के उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य को हासिल करने की ओर बढ़ रहा है. केंद्र के अनुसार किसानों से अरहर दाल की सरकारी खरीद 25 फीसदी नहीं होगी, बल्कि 100 फीसदी खरीद की जाएगी. केंद्र ने खरीफ सीजन के लिए अरहर और मूंग दाल की बुवाई के लिए किसानों को प्रेरित किया है.
ताजा निर्देशों के अनुसार केन्द्र सरकार का है वादा कि प्रत्येक अरहर किसान को मिलेगा शत-प्रतिशत खरीदारी की गारंटी दी जा रही है. केंद्र किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर अरहर दाल की खरीद करेगी. अरहर दाल पर एमएसपी रेट 2023-24 में 400 रुपये बढ़ाकर 7000 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. 2022-23 सीजन के लिए एमएसपी रेट 6600 रुपये प्रति क्विंटल था और 2021-22 सीजन के लिए 6300 रुपये एमएसपी रेट था.
सरकार ने अरहर किसानों से कहा है कि वह अपनी उपज को एमएसपी दर पर बेचने के लिए ई-समृद्धि पोर्टल (https://esamridhi.in/#/) पर रजिस्ट्रेशन कर लें. किसानों की अरहर उपज की खरीद दो सहकारी समितियों नेफेड और एनसीसीएफ करेंगी और ये किसानों की फसल का भुगतान सीधे उनके बैंक अकाउंट में करेंगी. ई-समृद्धि पोर्टल पर अरहर दाल ही नहीं बल्कि, मक्का समेत कई दूसरी फसलों की भी बिक्री कर सकते हैं. पोर्टल पर अब तक 1.37 करोड़ किसान रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं.
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