किसान संतरे की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं अगर किसान संतरे की सही किस्म का चयन कर खेती करेंगे तो उन्हें अच्छा मुनाफा मिलेगा. नींबू वर्गीय फलों में संतरे का भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है.इसमें विटामिन की प्रचूर मात्रा पाई जाती है. इसमें सबसे ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है. इसके अलावा इसमें विटामिन ए और बी भी पर्याप्त मात्रा में होता है. संतरे अपनी सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है. भारत में संतरे का कुल क्षेत्रफल 4.28 लाख हैक्टेयर के करीब है जिससे 51.01 लाख टन संतरे का उत्पादन प्राप्त होता है.
देश में इसकी मुख्य रूप से महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में की जाती है. यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इससे किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं. इसके लिए किसानों को इसकी उन्नत और बेहतर किस्मों का चुनाव करना चाहिए ताकि इससे अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके. जानिए संतरे की उन्नत किस्मों के बारे में.
भारत में नागपुरी संतरा काफी प्रसिद्ध है. इस किस्म के संतरे की सुगंध, स्वाद में स्वादिष्ट होता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सेवन अच्छा माना गया है. संतरे की खेती का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र के विदर्भ, पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाडा में किया जाता है. यहां के किसान इसकी खेती प्रमुखता से करते हैं. देश के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत संतरा सिर्फ महाराष्ट्र में होता है. इसके अलावा इसकी खेती अन्य दूसरे राज्यों में भी होने लगी है.
इस किस्म वृक्ष काफी अधिक घना होता है. इसके फल चमकीले संतरी रंग, माध्यम से बड़े आकार के होते हैं. इन्हें आसानी से छिल जा सकता हैं. इसे छिलने पर 9-11 फाड़ियां होती है। इसमें 15-25 बीज होते है.यह काफी रसदार भी होते हैं.
ये भी पढ़ें- Tomato Price: ऐसा क्या हुआ कि एक ही महीने में जमीन से आसमान पर पहुंचा टमाटर का दाम?
खासी संतरा को सिक्किम के नाम से भी जाना जाता है. आसाम और मेघालय में इसकी व्यावसायिक स्तर पर खेती की जाती है. इसके किस्म के पेड़ सामान्य से बड़े आकार के होते हैं.इसके पत्ते घने ओर कांटों वाले होते हैं. इसका फल संतरी-पीले से गहरे संतरी रंग का होता है और नर्म भी होता है. इसमें 9 से लेकर 25 बीज होते हैं.
यह संतरे की एक हाइब्रिड किस्म है. यह किस्म मुख्य तौर पर पंजाब में उगाई जाती है.इसके पौधे बढ़े आकार के होते हैं. वही इसके एक सामान होने के साथ ही इसके पत्ते घने और फैले हए होते हैं. पकने पर इसके फल पीले रंग के होते हैं. इसकी फसल मध्यम आकार की होती हैं। यह काफी रस भरे होते हैं.
इसमें 12 से लेकर 24 बीज होते हैं.
ये किस्म दार्जिलिंग में उगाई जाती है। यह किस्म भी अच्छा उत्पादन देने वाली किस्म मानी जाती है। ये काफी स्वादिष्ट और रसीली होती है। पहले यहां के किसान इसकी खेती प्राथमिकता से करते थे, कुछ समय से इस किस्म की खेती कम होने लगी है। इस किस्म को वापस प्रोत्साहित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
संतरे की पौध नर्सरी में तैयार करने के बाद उन्हें खेत में तैयार किये गए गड्डों में लगाया जाता है. सबसे पहले गड्डों में खुरपी की सहायता से एक छोटा गड्डा तैयार कर लें. अब छोटे वाले गड्डे में पौधे की पॉलीथिन को हटाकर उसमें लगा देते हैं और पौधे को चारों तरफ से अच्छे से मिट्टी से भर देते है. पौधा लगाने से पहले प्रत्येक गढ्ढे में 20 किलोग्राम गोबर की खाद और 1 किलोग्राम सुपर फास्फेट मिला ले. संतरे के पौधे में दीमक नियंत्रण के लिए मिथाइल पेराथियान 50-100 ग्राम हर गढ्ढे में मिलाएं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today