मसालों की कीमत ज्यादा होने की वजह से किसान जीरे की खेती में ज्यादा रुचि ले रहे हैं. गुजरात में जीरे का रकबा इस बार 5 लाख हेक्टेयर से ज्यादा हो गया है. इसके साथ ही पूरे देश में जीरे का क्षेत्रफल 10 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है अगले साल जीरे के रेट में गिरावट आ सकती है. इससे आम जनता का बिगड़ा हुआ किचन का बजट कुछ हद तक सुधर जाएगा.
नए आंकड़े के अनुसार, किसानों ने 18 दिसंबर तक गुजरात में 5.30 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई की थी. गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने बताया कि नवीनतम आंकड़ा पिछले वर्ष के जीरा बुवाई क्षेत्र से लगभग दोगुना है. पटेल ने कहा कि गुजरात देश में जीरा का सबसे बड़ा उत्पादक है. उन्होंने कहा कि इस साल जीरे का बुआई क्षेत्र 2.54 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. यह पहली बार है कि गुजरात में जीरे का रकबा पांच लाख हेक्टेयर के आंकड़े को छू गया है.
खास बात यह है कि इस बार गेहूं के बाद, किसानों ने सबसे अधिक रकबे में जीरे की बुवाई की है. अब तक राज्य में 10.73 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई है. यानी गेहूं के बाद जीरा इस सीजन में गुजरात के लिए दूसरी सबसे बड़ी फसल के रूप में उभरा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि जीरे के प्रति किसानों की प्राथमिकता रिकॉर्ड-उच्च बाजार कीमतों के कारण आई है.
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मेहसाणा जिले के उंझा में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में जीरे की मंडी दरें इस साल 65,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं, जो इस मसाला बीज का दुनिया का सबसे बड़ा थोक बाजार है. हालांकि, कीमतों में पिछले दो महीनों से गिरावट आ रही है. इससे जीरा रिटेल मार्केट में भी सस्ता हो गया है. गुरुवार को मंडी में जीरे की कीमत करीब 35 हजार रुपये क्विंटल थी.
बता दें कि साल 2019-20 में किसानों ने 4.81 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुवाई की थी. इसके बाद साल 2020-21 में यह आकड़ा गिरकर 4.73 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया. वहीं, साल 2021-22 में और घटकर 3.07 लाख हेक्टेयर हो गया. इसी तरह साल 2022-23 में जीरे का रकबा घटकर केवल 2.76 लाख हेक्टेयर पर रह गया था.
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