पश्चिम बंगाल के मालदार जिले के कुशीदा ग्राम पंचायत के भटोल इलाके में राज्य सरकार के अनुदानित मूल्य पर धान की कीमत नहीं मिलने पर किसान सड़क पर धान फेंक कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों की शिकायत है कि सरकारी मूल्यों पर उनसे धान की खरीदी नहीं की जा रही हैं. जिसके चलते उन्हें अलग - अलग केन्द्रों पर बिक्री के लिए जाना पड़ता है और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.साथ ही एक क्विंटल धान बेचने पर बिक्री केंद्रों को पांच किलो धान (ढलता) अतिरिक्त देना पड़ता है.
वहीं इस घटना के विरोध में किसानों ने भाटोल क्षेत्र की ग्रामीण सड़कों पर कई क्विंटल धान फेंक कर अपना विरोध जताया. प्रदर्शन के बारे में जाते ही हरिश्चंद्रपुर 1 ब्लॉक कृषि विभाग के अधिकारी बेहद असहज हो गए. इसके अलावा इलाके के चावल मिल मालिकों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं.
घर से धान मंडी में बेचने के लिए लाने पर किराया अधिक लग जाता है ऐसे कम में खरीदी कर रहे व्यापियों से खिलाफ गुस्सा जाहिर किया जा रहा हैं. जिले के किसानों की आजीविका इस चावल की बिक्री पर निर्भर करती है. लेकिन हरिश्चंद्रपुर के भाटोल इलाके में धान खरीद केंद्र पर घंटों किसानों को रोज सुबह बैठना पड़ता है. फिर भी उचित भाव नहीं दिया जाता है. किसान तफीजुल ने बताया कि क्षेत्र के धान क्रय केंद्रों पर तरह-तरह के बहाने बनाकर किसानों को परेशान किया जा रहा है. धान क्रय केंद्र से भी कभी कंप्यूटर खराब तो कभी सर्वर डाउन का बहाना बनाया जाता है. इसके अलावा भी प्रति क्विंटल पर पांच किलो अतिरिक्त धान लिया जा रहा है.
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हरिश्चंद्रपुर के भाटोल इलाके में चावल मिल के प्रबंधक बब्लू सिंह ने कहा कि यहा सैकड़ों किसानों को सरकारी अनुदानित मूल्य पर चावल की कीमत मिल रही है. कुछ लोग भ्रम फैलाने के लिए ऐसी हरकतें कर रहे हैं. हमने मामले की सूचना प्रशासन को दे दी है. लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं. किसानों को उनके उपज का सही दाम दिया जा रहा है.
हरिश्चंद्रपुर 1 ब्लॉक के तृणमूल अध्यक्ष संजीव गुप्ता ने कहा कि किसानों के लिए रियायती मूल्य पर धान खरीदने की जानकारी तृणमूल नेता व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही दे चुकी हैं, लेकिन फिर भी अगर कहीं ऐसी शिकायत आती है, तो समूह बनाकर प्रशासन को सूचित किया जायेगा, और मामले की जांच की जाएगी.
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