अनानास की खेती दुनियाभर में की जाती है. भारत में उगाए जाने वाले अनानास की अधिकांश व्यावसायिक किस्में केव, जायंट केव, क्वीन, मॉरीशस, जलधूप और लखट हैं. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं बाजार में अनानास की डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए इसकी की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. अनानास की खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
भारत में अनानास की खेती मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में होती है. वहीं, अब इसकी खेती बिहार, केरल,आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में होने लगी है.पश्चिम बंगाल में अनानास की खेती (Pineapple Farming) साल भर की जाती है.
अनानास की खेती के लिए बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है इसीलिए अपने देश में पश्चिम बंगाल ,असम, आंध्र प्रदेश, केरल, त्रिपुरा और मिजोरम, में अनानास की खेती खूब होती है. वहीं इस खेती में मिल रहे लाभ के देखते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के किसानों के द्वारा अनानास की खेती की जाने लगी है.
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अनानास का पौधा कैक्टस प्रजाति का होता है. अनानास जिसे अंग्रेजी में पाइन एप्पल कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम अनानस कोमोसस है. यह एक खाद्य उष्णकटिबंधीय पौधा है. तकनीकी दृष्टि से देखें, तो ये अनेक फलों का समूह विलय हो कर निकलता है. यह मूलत: पैराग्वे एवं दक्षिणी ब्राज़ील का फल है. अनन्नास को ताजा काट कर भी खाया जाता है और शीरे में संरक्षित कर या रस निकाल कर भी सेवन किया जाता है.
अनानास की खेती के लिए नम (आर्द्र) जलवायु की आवश्यकता होती है.इसकी खेती के लिए अधिक बारिश की जरूरत होती है. बता दें, अनानास में ज़्यादा गर्मी और पाला सहने की क्षमता नहीं होती है. इसके लिए 22 से 32 डिग्री से. तापक्रम उपयुक्त रहता है. दिन-रात के तापक्रम में कम से कम 4 डिग्री का अंतर होना चाहिए. इसके लिए 100-150 सेंटीमीटर बारिश की ज़रूरत होती है. अनानास के लिये गर्म नमी वाली जलवायु उपयुक्त रहती है.
भारत में अनानास की कई किस्में प्रचलित है. इनमें जायनट क्यू, क्वीन, रैड स्पैनिश, मॉरिशस मुख्य किस्म हैं. अनानास की क्वीन किस्म बहुत जल्दी से पकने वाली किस्म है. जायनट क्यूइस किस्म की खेती पछेती फसल के रूप में की जाती है. रेड स्पैनिशइस किस्म में रोगों का प्रकोप काफी कम होता है. इस किस्म का उपयोग ताज़े फल के रूप में किया जाता है.मॉरिशस यह एक विदेशी किस्म है.
खेत की जुताई के समय ही गोबर की सड़ी खाद, वर्मी कंपोस्ट या कोई भी जैविक खाद डालकर उसे मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके अलावा रासायनिक खाद के रुप में 680 किलो अमोनियम सल्फेट, 340 किलो फास्फोरस और 680 किलो पोटाश साल में दो बार पौधों को देना चाहिए.
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