केंद्र सरकार की खाद्य वितरण नोडल एजेंसी एफसीआई ने ट्रेडर्स के लिए गेहूं की कीमत में 30 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दी है. इससे बाजार में यह गेहूं पहुंचने पर कंज्यूमर को प्रभावित करने वाला है. हालांकि, रबी सीजन में बंपर गेहूं की बुवाई का फायदा उत्पादन बढ़ने के रूप में दिख सकता है. लेकिन, मुफ्त राशन योजना के लिए अतिरिक्त गेहूं खरीद एफसीआई कर सकती है, जो बाजार में उपलब्धता पर असर डाल सकती है.
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के पास गेहूं स्टॉक कम हो गया है. ताजा आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2024 को 163.5 लाख टन गेहूं का स्टॉक था. गेहूं का यह स्टॉक 2017 के 137.5 लाख टन के बाद से सबसे कम है. इसके चलते एफसीआई ने ओपेन मार्केट सेल के तहत ट्रेडर्स को बेचे जाने वाले गेहूं की कीमत में 30 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा कर दिया है. इसके चलते आने वाले महीनों में गेहूं की कीमतों के ऊपर जाने की आशंका बरकरार है.
गेूहं उत्पादन में इस साल बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाया गया है. क्योंकि, रबी सीजन में गेहूं की बंपर बुवाई हुई है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में गेहूं का बुवाई क्षेत्र 340 लाख हेक्टेयर से अधिक हुआ है. बीते साल 2022-23 में गेहूं का बुवाई रकबा 337 लाख हेक्टेयर था. इस हिसाब से बीते साल की तुलना में इस बार करीब 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की अधिक बुवाई की गई है. इसको देखते हुए फसल वर्ष 2023-24 में गेहूं उत्पादन 12 करोड़ टन आंकड़े को छू सकता है.
सरकार ने मुफ्त राशन योजना को अगले 5 साल के लिए बढ़ा दिया है और वर्तमान लाभार्थियों की संख्या 80 करोड़ से बढ़कर 81.35 करोड़ हो गई है. इस संख्या में अभी और इजाफा होने की संभावना है. जबकि, कुछ अन्य खाद्य योजनाओं के तहत भी गेहूं वितरित किया जाता है. मामले के जुड़े एक्सपर्ट के अनुसार इस स्थिति में सरकारी खाद्यान्न खरीद एजेंसी एफसीआई को अतिरिक्त गेहूं खरीद करना होगा. वहीं, जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए सालाना औसतन 190 लाख टन गेहूं की आवश्यकता पड़ती है. जबकि, सरकार सहकारी समिति नेफेड के जरिए सस्ती कीमत पर आटा बिक्री करा रहा है, जिसके लिए भी गेहूं की अतिरिक्त खरीद करनी होगी.
केंद्र ने गेहूं के खरीद मूल्य में 150 रुपये जरूर बढ़ाए हैं, जिसके बाद गेहूं की कीमत 2275 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. एक्सपर्ट के मुताबिक कीमत में बढ़ोत्तरी से गेहूं उत्पादकों को तो थोड़ा फायदा मिलेगा. लेकिन, खरीद और उत्पादन की तुलना में गेहूं की जरूरत पूरी करने के लिए बाजार में उपलब्धता बनाए रखना चुनौती बन सकती है. इससे आने वाले महीनों में उपभोक्ता के लिए गेहूं की कीमतों पर दबाव बने रहने की आशंका है.
ये भी पढ़ें -
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today