मई-जून में केले में जरूर करें ये काम, उकठा रोग से बचाव के लिए पौधे में डालें एग्नॉल दवा

मई-जून में केले में जरूर करें ये काम, उकठा रोग से बचाव के लिए पौधे में डालें एग्नॉल दवा

केले की पौध में मई में भी एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई अवश्य करनी चाहिए. अवांछित पत्तियों को निकाल देना चाहिए. इसके अलावा फलों के गुच्छों को धूप से बचाने के लिए पत्तियों से ढक देना चाहिए.

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मई-जून में केले में जरूर करें ये काम, उकठा रोग से बचाव के लिए पौधे में डालें एग्नॉल दवाकेले की खेती

केला एक प्रमुख बागवानी फसल है. इसकी अगर वैज्ञान‍िक तरीके से खेती की जाए तो क‍िसान को अच्छा मुनाफा देकर जाएगी. खासतौर पर गर्मी के सीजन में इसकी स‍िंचाई को लेकर खास ध्यान देना चाह‍िए. केले की पौध में मई में भी एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई अवश्य करनी चाहिए. अवांछित पत्तियों को निकाल देना चाहिए. इसके अलावा फलों के गुच्छों को धूप से बचाने के लिए पत्तियों से ढक देना चाहिए. नए बाग लगाने के लिए रेखांकन के बाद 45×45×45 सें.मी. आकार के गड्ढे खोद लेने चाहिए. जून के अंतिम सप्ताह में खोदे गए गड्डों को गोबर की खाद, उर्वरक और मिट्टी बराबर मात्रा में मिलाकर ऊपर तक भरें. नीम की खली (250 ग्राम प्रति गड्डा) तथा स्यूडोमोनास (25 ग्राम)  सूक्ष्मजीवियों का प्रयोग भी लाभदायी होता है. 

बागवानी वैज्ञान‍िकों के अनुसार गड्ढों में मिट्टी भरने के तुरंत बाद पानी अवश्य देना चाहिए, ताकि मिट्टी बैठ जाए. पुराने बागों में जिन पत्तियों पर धब्बे वाला रोग दिखे उन्हें काटकर मिट्टी में गहरा दबा दें या जला दें तथा कवकनाशी ब्लिटॉक्स-50 का 0.3 प्रतिशत (300 ग्राम प्रति 100 लीटर, पानी में घोलकर छिड़काव करें. उकठा रोग की रोकथाम के लिए कंदों को एग्नॉल से उपचारित करें. खेतों में सूत्रकृमि का प्रकोप होने पर कार्बोफ्यूरोन 3जी का 33 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

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पपीता के बाग का कैसे रखें ध्यान 

मई में बाग का रेखांकन करने के बाद गड्ढे भरने का कार्य समाप्त कर लेना चाहिए. पछेती किस्मों के तैयार फलों को बाजार भेजने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए. नर्सरी में लगे छोटे-छोटे पौधों को गर्मी से सुरक्षा की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए. नर्सरी पर छप्पर डाल दिया जाए तो अच्छा रहता है. नर्सरी के पौधों की साप्ताहिक अंतर पर सिंचाई की नियमित व्यवस्था आवश्यक है. बाग में लगे पौधे को तीन तरफ से घास या पुआल से ढकना चाहिए. जून के महीने में नर्सरी पौधों को निकालकर बाग में रोपित कर देना चाहिए और उसके तुरंत बाद सिंचाई करना अति आवश्यक है. पुराने बागों के बजाय नये बागों में पानी की अधिक आवश्यकता होती है. 

लीची के बाग कौन सी खाद डालें 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार मई में पौधों की 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए, ताकि फलों में नियमित वृद्धि होती रहे. अन्य फलों की भांति लीची बाग का रेखांकन भी मई माह में ही कर लेना चाहिए. रेखांकन उपरांत 3×3×3 फुट आकार के गड्ढे खोद लें और उन्हें एक महीने बाद गोबर की खाद, रासायनिक खाद व मिट्टी की बराबर मात्रा से भर लेना चाहिए. कुछ किस्मों के फल मई में पकना शुरू हो जाते हैं उन्हें बरों से बचाना चाहिए. 

तैयार फलों को सुबह या शाम को तोड़कर भेजने की समुचित व्यवस्था आवश्यक है. फलों के पकने के समय उनके फटने की समस्या लीची में अत्यधिक होती है. पौधे में नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए अन्यथा मई व जून के महीनों में अचानक वर्षा होने या सिंचाई करने से फलों के फटने की अत्यधिक समस्या आएगी.

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