दुनियाभर में नारियल की मांग और खपत काफी ज्यादा है. नारियल की खेती अपनी बहुमुखी प्रतिभा और औषधीय गुणों के लिए भारत के विभिन्न राज्यों में लोकप्रिय है. नारियल एक आराध्य फल होने के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी अत्यंत उपयोगी है. भारत में इसके सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक महत्व भी है. इससे भारत के छोटे किसानों का जीवन जुड़ा हुआ है. इस वृक्ष का हर हिस्सा उपयोगी होता है. नारियल का फल पेय, खाद्य और तेल के लिए उपयोगी होता है. इन्हीं उपयोगिताओं के कारण नारियल को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है. भारत में इसकी खेती केरल, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और समुद्र तटीय इलाकों में की जाती है.
वहीं जून से सितंबर के बीच नारियल के पौधे लगाने का सही समय माना जाता है. आइए जानते भारत की पांच मशहूर नारियल किस्में जिसकी खेती कर किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
अगर आप इस मॉनसून में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप नारियल की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में वेस्ट कोस्ट टॉल नारियल, ईस्ट कोस्ट टॉल नारियल, चौघाट ग्रीन ड्वार्फ नारियल, केरा शंकर और चंद्र लक्ष्य आदि किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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वेस्ट कोस्ट टॉल नारियल: भारत में नारियल की बहुत सारी किस्मों को उगाया जाता है. इसमें सबसे आगे है वेस्ट कोस्ट टॉल नारियल. जो अपनी अधिक उपज के लिए जाना जाता है. इसमें फल लगने में 6-7 साल तक का समय लग सकता है. यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकता है और इसमें 65-70 फीसदी तेल की मात्रा होती है. ये खास करके भारत में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा, त्रिपुरा और लक्षद्वीप के तटीय क्षेत्रों में उच्च पैमाने पर खेती के लिए लोकप्रिय है.
ईस्ट कोस्ट टॉल नारियल: ये एक नारियल की लचीला किस्म है, जो मुख्य रूप से पूर्वी भारत के तटीय क्षेत्रों में उगाया जाता है. इस नारियल की खासियत ये है कि यह तेज हवा का भी सामना आसानी से कर लेता है. यह पश्चिम बंगाल, पांडिचेरी, आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में उगाने के लिए उपयुक्त है. यह नारियल अच्छी जल निकासी वाली, जलोढ़ या लाल दोमट मिट्टी में अच्छी तरह उगता है और 6-8 साल की उम्र में फल देना शुरू कर देता है.
चौघाट ग्रीन ड्वार्फ नारियल: ये एक बेशकीमती बैना किस्म का नारियल है. यह मुख्य रूप से केरल में उगाया जाता है. वहीं इसकी खासियत इसकी स्वादिष्ट पानी है और उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व है. ये किस्म फल 3-4 साल में फल देने लगता है. जिसमें तेल की मात्रा लगभग 66-68 फीसदी होती है.
केरा शंकर नारियल: ये नारियल का एक विशेष किस्म है. यह अपने बेहतर उपज और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. यह संकर किस्म लक्षद्वीप ऑर्डिनरी टाल और चौघाट ऑरेंज ड्वार्फ का मिश्रण है. इसमें 68-72 फीसदी तेल की मात्रा पाई जाती है. यह पेड़ अपनी दोनों मूल किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार देता है. यह तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है.
चंद्र लक्ष्य नारियल: ये किस्म अपने विशेष स्वाद और बढ़े सजावटी आकार के लिए जाना जाता है. इसकी खेती सबसे अधिक केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में की जाती है. इस किस्म में तेल की मात्रा 69-72 फीसदी होती है.
नारियल के फलों को पकने के लिए सामान्य तापमान और गर्म मौसम की जरूरत होती है. नारियल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है. आमतौर पर इसकी खेती के लिए 9 से 12 महीने पुराने पौधे रोपने के लिए बेहतर माने जाते हैं. ऐसे में किसानों को ऐसा पौधा चुनना चाहिए जिसमें 6-8 पत्तियां हों. नारियल के पौधों को हम 15 से 20 फीट की दूरी पर लगा सकते हैं. ये ध्यान रखें कि नारियल की जड़ के पास पानी का जमाव न हो. नारियल के पौधे लगाने से पहले उनकी जगह को चिन्हित करें और वहां गड्ढा बनाकर उसमें गोबर की खाद या कंपोस्ट डालकर छोड़ दें. फिर कुछ दिनों बाद वहां पर नारियल का पौधा लगा दें.
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