काले अमरूद में है अच्छा मुनाफा, बंपर पैदावार के लिए इस तरह की मिट्टी में करें खेती

काले अमरूद में है अच्छा मुनाफा, बंपर पैदावार के लिए इस तरह की मिट्टी में करें खेती

अभी हिमाचल प्रदेश में किसान बड़े पैमाने पर काले अमरूद की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार में भी इसकी खेती की जा रही है. अगर खासियत की बात करें, तो काले अमरूद की पत्तियां और अंदर के गूदे का रंग लाल होता है. इसके फल का वजह 100 ग्राम तक होता है.

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काले अमरूद में है अच्छा मुनाफा, बंपर पैदावार के लिए इस तरह की मिट्टी में करें खेतीकाले अमरूद की खेती से कमाई. (सांकेतिक फोटो)

देश में बागवानी फसलों की खेती का चलन तेजी के साथ बढ़ रहा है. अब किसान धान-गेहूं जैसी फसलों के बजाए अमरूद, लीची, आम, केला, संतरा और सेब की खेती करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. क्योंकि इनकी खेती में कम लागत में ज्यादा मुनाफा है. लेकिन किसान अगर काले अमरूद की खेती करते हैं, तो उन्हें और ज्यादा आमदनी होगी. इसके लिए बस उन्हें थोड़ी बहुत मेहनत करनी होगी. तो आइए आज हम जानते हैं, काले अमरूद के फायदे और खासियत के बारे में.

मार्केट में काले अमरूद की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है. ऐसे में काले अमरूद की खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा होगा, क्योंकि मार्केट में सामान्य अमरूद के मुकाबले इसका रेट भी ज्यादा होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि काले अमरूद में कई सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स का खजाना है. अगर आप काले अमरूद का नियमित सेवन करते हैं, तो आपके शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाएगी.

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कीट और रोग लगने की संभावना नहीं

अभी हिमाचल प्रदेश में किसान बड़े पैमाने पर काले अमरूद की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार में भी इसकी खेती की जा रही है. अगर खासियत की बात करें, तो काले अमरूद की पत्तियां और अंदर के गूदे का रंग लाल होता है. इसके फल का वजह 100 ग्राम तक होता है. ये देखने में भी काफी सुन्दर लगता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, काले अमरूद की खेती में समान्य अमरूदों की तुलना में कम खर्च आता है. इसकी खेती के लिए लिए सर्दी का मौसम ज्यादा अच्छा माना गया है. वहीं, औषधीय गुणों की वजह से इसके फलों में कीट और रोग लगने की संभावना भी न के बराबर रहती है.

तीन साल बाद शुरू होगा उत्पादन

ऐसे भी काले अमरूद की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है. इसकी खेती शुरू करने से पहले किसान मिट्टी की जांच जरूर करा लें. वहीं, खेती की अच्छी तरह की जुताई करने के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर दें. साथ ही खेत में जल निकासी का भी पूरा ध्यान रखना होगा, वरना फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है. खास बात यह है कि सामान्य अमरूद की तरह इसके पेड़ की भी कटाई और छटाई करनी पड़ती है. कटाई-छटाई करने से पौधों की वृद्धि तेजी से होती है. वहीं, अमरूद के पौधों की रोपाई के दो से तीन वर्ष बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं.

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