उत्तर प्रदेश सरकार इथेनॉल बनाने के लिए राज्य में मक्के की खेती को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए वह तीनों सीजन रबी, खरीफ और जायद में किसानों को मक्के की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. राज्य सरकार का मानना है कि अगर मक्के से अधिक मात्रा में इथेनॉल बनाया जाता है, तो पानी की बर्बाद कम होगी. क्योंकि मक्के की फसल बहुत ही कम सिंचाई में तैयार हो जाती है. जबकि, धान और गन्ने की फसल को बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है. अगर धान और गन्ने से इथेनॉल बनाया जाता है तो इंडायरेक्ट रूप से भूजल का बहुत अधिक दोहन होगा. ऐसे भी यूपी पूरे देश में मक्का उत्पादन में नबंर वन राज्य है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, अभी गन्ने से सबसे अधिक इथेनॉल बनाया जा रहा है, जबकि धान और मक्के का इस्तेमाल सीमित है. खास बात यह है कि गन्ने की खेती में बहुत अधिक पानी की खपत होती है. ऐसे भी गन्ने की फसल को तैयार होने में पूरे एक साल लग जाता है. वहीं, ग्लोबल वार्मिंग के चलते बहुत कम बारिश हो रही है. धीरे- धीरे सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो हो रहे हैं. ऐसे में अगर मक्के से इथेनॉल बनाना, पर्यावरण के लिए भी अच्छा रहेगा. यही वजह है कि योगी सरकार मक्के से इथेनॉल बनाने पर फोकस कर रही है.
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वहीं, इसको लेकर कृषि और गन्ना विभाग के बीच बैठकें भी हो चुकीं है. हर चीनी मिल के इलाके में संभावित मक्के के रकबे को भी चिन्हीत किया जा चुका है. साथ ही प्रदेश में इथेनॉल बनाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ाई जाएगी. इससे रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही इस क्षेत्र में नया निवेश भी आएगा. इसके लिए कच्चे माल के रूप में बड़ी मात्रा में मक्के की जरूरत होगी. ऐसे में योगी सरकार ने बहुत पहले से ही तैयारी कर रही है.
अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मक्के का रकबा और प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने का लक्ष्य कृषि विभाग को दे दिया था. लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने त्वरित मक्का विकास योजना शुरू की है. इस वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए करीब 28 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर रकबे में मक्के की बुआई होती है. वहीं, उत्पादन करीब 21.16 लाख टन है. योगी सरकार ने 2027 तक 27.30 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
मक्का ऐसे भी बहुत ही योगी फसल है. ऐसे में इथेनॉल बनने से इसकी उपयोगिता और बढ़ जाएगी. केंद्र सरकार ने पेट्रोल में 20 फीसद इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है. मक्का जब इथेनॉल का प्रभावी विकल्प बनेगा तो किसानों को इसका वाजिब दाम मिलेगा. इससे उनकी आय और खुशहाली दोनों बढ़ेगी.
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