रबी सीजन में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. साथ ही तिलहन में सरसों और राई की खेती भी किसान करते हैं. लेकिन इन दिनों सरसों की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. इसकी वजह मौसम या कोई रोग नहीं बल्कि एक परजीवी घास है जिसका प्रकोप खेत पर पड़ते ही पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है. हम बात कर रहे हैं सरसों और राई की फसलों के लिए अभिशाप मानी जाने वाली ओरोबैंकी या मरगोजा यानी रुखड़ी घास की. पटना जिले के विष्णुणुरा गांव निवासी धीरज कुमार ने वैसे एक बिगहा से अधिक एरिया में सरसों और राई की खेती की है. लेकिन दस कट्ठा में ओरोबैंकी घास का प्रभाव अधिक होने से सरसों की पूरी फसल ही बर्बाद हो चुकी है.
भोजपुर जिले के कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी इस घास को लेकर कहते हैं कि ओरोबैंकी घास को भोजन सरसों और राई की फसल से ही मिलता है. अगर किसान फसल चक्र में बदलाव करें, अगले साल सरसों की जगह कोई दूसरी फसल लगाएं तो उसका प्रभाव खत्म हो सकता है.
ये भी पढ़ें- Success Story: खेती में तकनीक की मदद से कैमूर के किसान ने किया कमाल, डेढ़ एकड़ में की तीन लाख की कमाई
सरसों फसल की बुवाई के बाद जब इसमें फूल और फलियां आने लगती हैं. उस समय यह परजीवी घास ओरोबैंकी सरसों की फसलों की जड़ों के सामने उगने लगती है. इसमें काफी गर्मी होती है. यह सरसों की जड़ों से लवण और पानी सोख लेती है, जिससे सरसों की पूरी फसल सूख कर नष्ट होने लगती है. इस घास का फूल नीले रंग का होता है. यह घास जहां भी दिखे किसानों को उखाड़ देना चाहिए. लेकिन अगर बड़े पैमाने पर हो तो इसे उखाड़ना संभव नहीं होता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ द्विवेदी कहते हैं कि वैसे कई तरह के परजीवी घास हैं. मगर ओरोबैंकी नस्ल के इस घास का जन्म सरसों के खेत में होता है. उसके अलावा अन्य फसलों में नहीं देखने को मिलता है.
भोजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ. प्रवीण कुमार द्विवेदी कहते हैं कि अगर यह घास खेत में उग गई तो इसका उपचार संभव नहीं है. वहीं अगर किसान दवा का छिड़काव करता है तो घास से कहीं ज्यादा नुकसान सरसों और राई की फसल पर पड़ता है. अगर खेत में ओरोबैंकी/ मरगोजा का प्रकोप ज्यादा होता है तो सरसों के स्थान पर अगले साल चना, जौ या गेहूं की फसल की बुवाई करें. वहीं सिंचाई समय पर करने से ओरोबैंकी को ख़त्म किया जा सकता है क्योंकि यह घास ज्यादा नमी सहन नहीं कर पाती है.
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर खेत में मरगोजा घास अधिक होता है तो सबसे पहले किसान को गर्मी के महीनों में खेत की गहरी जुताई 9-10 सेंटीमीटर मिट्टी पलटने वाले हल से करवानी चाहिए. बुवाई के समय नाइट्रोजन के लिए यूरिया खाद देनी चाहिए. इसका फायदा यह होता है कि सरसों की फसल बढ़ जाती है. इसकी वजह से ओरोबैंकी का उगाव कम होता है. वहीं पहले पानी के दौरान 50 किलोग्राम यूरिया और दूसरे पानी के समय 25 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today