
बिहार की कई ऐसे फसल और व्यंजन हैं जिसे विश्व के मानचित्र एक अलग पहचान मिल चुकी है. कई व्यंजन और फसलों को जीआई टैग भी मिल चुका है. इसके साथ ही अब राज्य के अन्य फसलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर किसानों की मदद करेगा. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी आर सिंह ने कहा कि किसानों की महत्वपूर्ण फसलों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में विश्वविद्यालय सहायता करेगा. वहीं उन्हें वैज्ञानिक व तकनीकी सुविधा के माध्यम से मदद की जाएगी ताकि किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके. इस दिशा में विश्वविद्यालय और प्रदेश की सरकार काम कर रही है.
बता दें कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बुधवार को सबएग्रीस सभागार में राज्य के विभिन्न जिलों में लंबे समय से किसानों द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण फसलों एवं व्यंजनों को जीआई टैग दिलाने को लेकर समीक्षा बैठक की गई थी. यहां कुलपति द्वारा बताया गया कि अब आने वाले दिनों में राज्य के 48 फसलों व व्यंजन को राष्ट्रीय पहचान मिलने वाली है. वहीं राज्य जल्द जीआई टैग के लिस्ट में देश में अव्वल स्थान प्रदान करेगा.
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सबौर बिहार कृषि विश्वविद्यालय में जीआई टैग दिलाने को लेकर हुई समीक्षा बैठक में वैज्ञानिकों ने 48 फसलों व व्यंजनों की विशेषताओं को लेकर अपना प्रेजेंटेशन दिया. इसमें वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने मोकामा के मखाना मशरूम, डॉक्टर प्रशांत सिंह ने रोहतास के सोना चूर चावल, डॉ रफत सुल्ताना ने बांका मुंगेर के पाटम अरहर, डॉ अनिल कुमार ने भागलपुर के तितुआ मसूर, डॉ रणधीर कुमार ने पटना के दीघा मालदा आम, डॉ रविंद्र कुमार ने समस्तीपुर के बथुआ आम, डॉ प्रकाश सिंह ने सहरसा के नटकी धान, डॉ के के प्रसाद ने रोहतास के गुलशन टमाटर, डॉ विनोद कुमार ने गोपालगंज के थावे का पुरुकिया, डॉक्टर तुषार रंजन ने सुपौल के पिपरा का खाजा और डॉक्टर सीमा ने पटना के रामदाना लाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसके साथ ही दो सजदा ने सिंदूर के पौधे को लेकर अपनी बात रखी. वह 6 महीने से विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस विषय पर काम कर रहे है.
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विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी आर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. वहीं जिन फसलों एवं व्यंजनों को जीआई टैग दिलाने को लेकर काम किया जा रहा है. उस क्षेत्र के लोगों को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा. ताकि देश भर में जीआई टैग के आधार पर राज्य का नाम रोशन हो सके. आगे कुलपति ने कहा कि अब तक 97 स्टार्टअप को उद्यम के रूप में स्थापित करने में तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है.
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