मूली कच्ची सब्जी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उगाई जाने वाली सब्जी है. इसकी खेती कंद सब्जी के रूप में की जाती है. इसका इस्तेमाल लोग कच्चे सलाद, सब्जी, साग या अचार बनाने के लिए करते हैं. मूली की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है. देश में मूली की खेती पूरे साल की जाती है क्योंकि मूली की फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है. किसान इसकी खेती कर अच्छा अच्छी कमाई कर सकते हैं. मूली की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए मूली की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. इसकी खेती सितंबरसे अक्टूबर महीने में की जाती है, खरीफ सीजन चालू है ऐसे में किसान की मूली की उन्नत किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
यह मूली की जल्दी पकने वाली किस्म है. खास बात यह है कि इस किस्म की बुवाई बेमौसम में भी की जा सकती है. इसकी जड़ें लंबी, रंग सफेद और बालों रहित होती है. ये बुवाई के 45 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है. मुख्य मौसम में इसकी औसतन पैदावार 215 से लेकर 235 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और बेमौसम में इसकी औसत पैदावार 150 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है.
मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती है. यह समान रूप से चिकनी और हल्की तीखी होती है. यह किस्म बुवाई से करीब 55 से लेकर 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से करीब 315 से लेकर 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार होती है.
ये भी पढ़ें- Tomato Price: किसानों ने सड़क पर फेंका टमाटर, खेत से मंडी तक ले जाने का खर्च तक निकालना मुश्किल
मूली की इस किस्म का छिलका लाल रंग का होता है जो कुछ सफेदी लिए होता है। इसकी जड़ें छोटे आकार की होती है. इनका गूदा सफेद रंग का होता है. ये स्वाद में चरपरी होती है. इस किस्म की मूली की किस्म बुवाई से करीब 25 से 30 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी और मोटी होती है. इसका स्वाद हल्का तीखा होता है, लेकिन खाने में स्वादिष्ट होती है. ये किस्म बुवाई के 50 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. मूली इस किस्म की औसत पैदावार 320 से 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है.
ये भी पढ़ें- Onion subsidy : किसानों की नाराजगी के बीच आठ महीने बाद अब ट्रांसफर की गई प्याज सब्सिडी, जानिए इसके बारे में सबकुछ
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today