आंध्र प्रदेश में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वहीं, मदनपल्ली का टमाटर अपने बेहतरीन क्वालिटी के लिए मशहूर है. मदनपल्ली का टमाटर अपने विशिष्ट उत्पाद के लिए भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग हासिल कर सकता है. ये टमाटर अपने असाधारण स्वाद, बनावट और सुगंध के लिए इस क्षेत्र की पहचान है.
मदनपल्ली टमाटर उत्पादक संघ इस पहल का नेतृत्व कर रहा है, जो इसकी विरासत की रक्षा करने और घरेलू और वैश्विक बाजारों में पहुंच बनाने के लिए जीआई टैग की मांग कर रहा है. इस मान्यता से एक लाख हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की खेती करने वाले 20,000 से अधिक किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे सालाना सैकड़ों करोड़ रुपये का कृषि कारोबार होता है.
मदनपल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एमआईटीएस) में हाल ही में हुई एक बैठक में GI टैग की आवेदन प्रक्रिया और इसके लाभों पर चर्चा की गई. विशेषज्ञों ने उत्पाद की पहचान को सुरक्षित रखने और उसकी कीमत को बढ़ाने के लिए टैग हासिल करने के महत्व पर जोर दिया.
एमआईटीएस के एसोसिएट डीन (आरएंडडी) डॉ. पी. शिवैया ने कहा कि जीआई टैग पाने से मदनपल्ली का टमाटर बाजार में एक बेहतर उत्पाद के रूप में स्थापित हो जाएगा. यह कदम किसानों के हितों की रक्षा करेगा साथ ही क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और मदनपल्ली टमाटर के वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा.
ये भी पढ़ें:- काले टमाटर के बारे में सुना है कभी! जान लीजिए खेती से लेकर कमाई तक का पूरा हिसाब
मदनपल्ली क्षेत्र में प्रतिदिन 190-240 मीट्रिक टन टमाटर का उत्पादन होता है, जो स्थानीय स्तर पर और आंध्र प्रदेश के बी कोथाकोटा, तंबलापल्ले और पुंगनूर और कर्नाटक के रायलपाडु और श्रीनिवासपुरम जैसे क्षेत्रों से मिलता है.
इन टमाटरों को तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में निर्यात किया जाता है, जिससे इसकी राष्ट्रीय मांग बढ़ती जा रही है. यहां बड़े किसानों की तुलना में छोटी जोत वाले किसान आमतौर पर एक से पांच एकड़ में खेती करते हैं. मदनपल्ली के किसान उन्नत कृषि तकनीकों की मदद से अपनी उपज की क्वालिटी को बढ़ा रहे हैं और सफलता पा रहे हैं.
टमाटर उत्पादक संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले एन विनायक रेड्डी ने आशा जताई है कि जीआई टैग पहल न केवल मदनपल्ली टमाटर की पहचान को बचाएगा, बल्कि बाजार में डिमांड को भी बढ़ाएगा, जिससे इस क्षेत्र के किसानों को फायदा होगा. वहीं, इस टमाटर के बिजनेस से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि यह कदम मदनपल्ली की कृषि सफलता में एक मील का पत्थर साबित होगा.
जीआई टैग का मतलब बिल्कुल सामान्य सा है. इसका पूरा नाम Geographical Indication Tag होता है. यह टैग मिलने के बाद प्रोडक्ट की स्थानीय और वैश्विक पहचान बन जाती है. जीआई टैग किसी वस्तु की विशेषता और उसकी गुण को अच्छी तरह से जांचने परखने के बाद दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि एक वस्तु को केवल एक ही जगह पर जीआई टैग दिया जा सकता है. एक ही वस्तु को अलग-अलग राज्यों में भी जीआई टैग दिया जा सकता है जो उसकी विशेषता के आधार पर लागू होगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today