फरवरी-मार्च में तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार पर उठ रहे सवालों के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि अभी गेहूं के नुकसान की बात करना जल्दबाजी होगी. सरकार ने यह बात संसद में कही है. फरवरी और मार्च में देश के कई हिस्सों में अचानक गर्मी बढ़ी है जिससे गेहूं के उत्पादन पर सवाल उठने लगा. गेहूं जब मिल्किंग स्टेज में होता है, तब अचानक अधिक गर्मी उसे नुकसान पहुंचाती है. इस बार फरवरी में यही स्थिति देखी गई जब टर्मिनल हीट (सर्दी के बाद अचानक तेजी से बढ़ी गर्मी) ने फसलों को नुकसान पहुंचाया. किसान भी चिंता में पड़ गए कि उनके गेहूं का क्या होगा अगर ऐसे ही गर्मी बढ़ती रही. ऐसे में सरकार का संसद में जवाब महत्वपूर्ण हो जाता है कि अभी गेहूं पर किसी तरह के नुकसान की बात करना जल्दबाजी होगी.
लोकसभा में मंगलवार को फसली नुकसान पर एक सवाल पूछा गया. इस पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब देते हुए कहा, फरवरी में देश के उत्तरी मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान 32-33 डिग्री के आसपास देखा गया. इसके बावजूद बढ़े हुए तापमान ने गेहूं पर कोई असर नहीं डाला क्योंकि सिंचाई से तापमान कम करने में मदद मिलती है. सिंचाई करने से हवा के तापमान से दो-तीन डिग्री तापमान कम हो जाता है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, मौजूदा स्थिति में तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार घटने की बात करना बहुत जल्दबाजी होगी. कुछ ऐसी ही बात कृषि एक्सपर्ट भी बता रहे हैं. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि अगर फरवरी में गर्मी बढ़ने से गेहूं का नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई हाल की बारिश ने कर दी है. बारिश होने से हीट वेव का खतरा जाता रहा जिसके बारे में पहले आशंका जताई गई थी. अगर फरवरी-मार्च में ही लू चलने लगती तो गेहूं को पकने का मौका नहीं मिलता. लेकिन बारिश ने तापमान को गिरा दिया जिससे गेहूं को पकने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है.
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गेहूं के अलावा कृषि मंत्री तोमर से आम की पैदावार के बारे में जानकारी मांगी गई. इसके बारे में तोमर ने कहा, 2019-20 में जहां 20.32 मिलियन टन आम का उत्पादन हुआ, वहीं 2020-21 में 20.39 मिलियन टन हो गया. ठीक एक साल बाद पैदावार बढ़कर 20.95 मिलियन टन तक पहुंच गया. इस तरह देश में साल दर साल आम की पैदावार बढ़ रही है. तोमर ने कहा, दुनिया में 2020-21 आम और अमरूद की पैदावार 57 मिलियन टन रहा जिसमें भारत का योगदान 25 मिलियन टन रहा.
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एक ऐसा ही सवाल कृषि में चलने वाले इंडो-इजरायल प्रोग्राम के बारे में पूछा गया. इस पर तोमर ने कहा कि देश के 75 सेलेक्टेड जिलों में किसानों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया जाएगा जिससे उन्हें आधुनिक खेती करने में मदद मिलेगी. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने का काम 'विलेज ऑफ एक्सीलेंस' प्रोग्राम के तहत किया जाएगा. 75 जिलों में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने का काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. देश के आठ राज्यों में यह प्रोग्राम चलाया जाएगा.
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