Agri Quiz: किस सब्जी की वैरायटी है 'कोहिनूर 51'? इसकी 5 उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

Agri Quiz: किस सब्जी की वैरायटी है 'कोहिनूर 51'? इसकी 5 उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

मार्केट में पूरे साल हरी सब्जियों की डिमांड रहती है. साथ ही कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सब्जी की किस्म है 'कोहिनूर 51'? और इसकी उन्नत वैरायटी कौन-कौन सी है?

Advertisement
Agri Quiz: किस सब्जी की वैरायटी है 'कोहिनूर 51'? इसकी 5 उन्नत किस्मों के बारे में जानिएसब्जी की वैरायटी

सेहत के लिए सब्जी काफी फायदेमंद होती है. लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को खाते हैं. इसलिए मार्केट में भी पूरे साल हरी सब्जियों की डिमांड बनी रहती है. ऐसे में कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देते हैं. ऐसी ही एक सब्जी की किस्म है ' कोहिनूर 51'. आपको बता दें, सभी मौसम में बाजार में मिलने वाली सब्जी बींस की किस्म कोहिनूर 51 है. बींस की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. किसान इसकी खेती कर बेहतर उपज और कमाई करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कोहिनूर 51 वैरायटी की क्या खासियत है. साथ ही इसके 5 उन्नत वैरायटी के बारे में भी जानिए.

बींस की 5 उन्नत किस्में

कोहिनूर 51: बीन्स की कोहिनूर 51 किस्म का फल हरे रंग का होता है. इसके फल अन्य किस्मों से लंबे होते हैं. इस बीन्स की बीज को लगाने के 48-58 दिनों के अंदर पहली तुड़ाई शुरु हो जाती है. वहीं ये किस्म 90 से 100 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इस किस्म की खेती किसान तीनों सीजन यानी रबी, खरीफ और जायद में कर सकते हैं.

अर्का कोमल: अर्का कोमल किस्म का निर्माण भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा किया गया है. इस किस्म के पौधों पर रतुआ और चूर्णिल फफूंद का रोग नहीं लगता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर कुल उत्पादन 8 से 10 टन के आसपास पाया जाता है.

पूसा पार्वती किस्म: इस किस्म के पौधों पर लगने वाली फलियां मुलायम, गोल, लंबी और बिना रेशे वाली होती हैं. इस किस्म का रंग अधिक हरा होता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 दिन बाद फल देना शुरू कर देते हैं. वहीं, इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 18 से 20 टन तक उत्पादन पाया जा सकता है.

अर्का संपूर्ण किस्म: इस किस्म का निर्माण भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा किया गया है. इस किस्म के पौधों पर रतुआ और चूर्णिल फफूंद का रोग नहीं लगता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर कुल उत्पादन 8 से 10 टन के आसपास पाया जा सकता है.

पन्त अनुपमा किस्म: इस किस्म के पौधों पर लगने वाली फली लंबी, चिकनी और हरे रंग की होती है. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 9 से 10 टन तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग दो महीने बाद ही पैदावार देना शुरू कर देते हैं. इसके पौधों पर मोजेक विषाणु रोग नहीं लगता है.

POST A COMMENT