पंजाब में दो महीने से जारी सूखे का दौर समाप्त हो गया है. गुरुवार को पूरे पंजाब में ओलावृष्टि के साथ भारी बारिश हुई. इस बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ये बारिश खरीफ फसलों खासकर गेहूं के लिए वरदान साबित होगी. हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि उन्हें इंतजार करना होगा और फसल पर ओलावृष्टि के प्रभाव का आकलन करना होगा. वहीं, मौसम विभाग ने 4 और 5 फरवरी को और बारिश होने की संभावना जताई है. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, लुधियाना में 37 मिमी बारिश हुई. इसके बाद फतेहगढ़ साहिब में 28 मिमी और मोहाली में 25 मिमी बारिश हुई है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में 34 लाख हेक्टेयरसे अधिक भूमि पर गेहूं की बुआई की गई है. रिपोर्टों के अनुसार, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब और लुधियाना जिले के कई हिस्सों में ओलावृष्टि हुई. कृषि निदेशक जसवन्त सिंह के अनुसार, ओलावृष्टि का असर केवल कुछ इलाकों पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना नहीं है कि इससे बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ होगा. उन्होंने कहा कि हमने सभी जिलों के कृषि अधिकारियों से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करते हुए शुक्रवार तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
ओलावृष्टि से चारे, सब्जियों, आलू और सरसों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि इन पौधों की शाखाएं नाजुक हैं. पंजाब में 50,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सब्जियां और सरसों उगाई जाती है, जबकि 1 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर आलू बोया गया है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के उप-कुलपति एसएस गोसल के अनुसार, भारी ओलावृष्टि से प्रभावित कुछ इलाकों को छोड़कर, मौजूदा बारिश का दौर कुल मिलाकर खरीफ फसलों, खासकर गेहूं के लिए फायदेमंद साबित होगा.
उनके मुताबिक गेहूं की फसल को सिंचाई की जरूरत थी और सूरज की रोशनी की कमी के कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया धीमी हो गई थी. उन्होंने कहा कि अब बारिश के साथ धुंध और सूक्ष्म कण जो सूरज की रोशनी को रोक रहे थे, धुल गए हैं. इससे जब आसमान साफ होगा, तो फसल को भरपूर धूप मिलेगी. गोसल ने कहा कि बारिश के कारण कुछ और दिनों तक तापमान कम रहने की संभावना है, जो फसल के लिए भी फायदेमंद होगा. बारिश के लिए यह सही समय है, क्योंकि गेहूं की फसल 70 से 90 दिन की हो गई है और इसकी शाखाएं विकसित हो रही हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बारिश से बंपर फसल में मदद मिलेगी.
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