
सरकार किसानों को बागवानी फसलों के लिए प्रेरित कर रही है ताकि वे धान-गेहूं के चक्र से बाहर निकलें और कुछ नई तरह की खेती करें. सरकार का ध्यान इस ओर है कि किसानों को आधुनिक खेती से अधिक मुनाफा हो. इसके लिए कई तरह की कृषि योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी में पंजाब भी है जहां कई तरह की स्कीम चल रही है. यहां के किसान बागवानी फसलों की खेती भी कर रहे हैं, लेकिन स्थिति उतनी मजबूत नहीं दिख रही जितनी उम्मीद की जा रही है. हालिया मामला पंजाब के मानसा का है जहां एक किसान ने शिमला मिर्च की खेती की थी. पूरी उम्मीद और तैयारी के साथ शिमला मिर्च उगाई थी. लेकिन जब बेचने की बारी आई तो रेट ऐसे गिरे कि किसान मुसीबत में पड़ गया. अंत में उसने रोष में पूरी उपज को सड़क पर फेंक दिया. इस किसान का नाम गोरा सिंह है.
मानसा जिले में किसानों ने सैकड़ों एकड़ खेत में सब्जियां और खरबूजे की पैदावार की है. इसी बीच मानसा जिले के गांव भैनीबागा में शिमला मिर्च का रेट न मिलने से दुखी होकर किसान गोरा सिंह ने उपज को सड़क पर फेंक दिया. इस किसान का कहना है कि सब्जी के वाजिब रेट नहीं मिलने से वह इतना निराश हुआ कि उसने पूरी उपज को फेंकना मुनासिब समझा. गोरा सिंह की तरह मानसा के कई और किसान हैं जो शिमला मिर्च के सही रेट नहीं मिलने से परेशान हैं और उपज को खुद ही नष्ट कर रहे हैं.
मानसा जिले के भैनी बागा गांव में किसानों ने परंपरागत फसलों को छोड़कर सब्जियों की खेती शुरू कर दी है. इस बार किसानों ने खेतों में करीब 700 एकड़ शिमला मिर्च की खेती की है. लेकिन किसानों को अभी पूरा रेट नहीं मिल रहा है. शिमला मिर्च के उचित रेट के लिए किसानों में भारी निराशा देखी जा रही है. किसान गोरा सिंह ने कहा कि भैनी बागा गांव के किसानों ने पारंपरिक फसल छोड़कर सब्जियों की खेती शुरू की. इससे पहले किसानों को नोटबंदी और कोरोना का खामियाजा भुगतना पड़ता था. अब जब उपज के सही रेट नहीं मिल रहे तो किसानों ने मजबूरी में शिमला मिर्च की फसल को सड़कों पर फेंक दिया.
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मानसा के शिमला मिर्ची की सप्लाई कोलकाता तक जाती है क्योंकि वहां इसकी भारी मांग है. दिक्कत ये है कि मानसा से ट्रक से शिमला मिर्च भेजने में एक लाख से अधिक का खर्च आता है. किसानों का कहना है कि ढुलाई पर इतना अधिक खर्च आता है कि उनकी परेशानी बढ़ जाती है. अगर सब्जी पहुंचने में देर हो जाए तो खराब होने का डर भी होता है. ऐसे में सरकार से मांग है कि किसानों को सब्सिडी दी जाए ताकि उन्हें ढुलाई आदि के खर्च पर राहत मिल सके.
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किसान गोरा सिंह ने सरकार से मांग की है कि दूसरे राज्यों में ट्रेन से सब्जी पहुंचाने के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि उपज खराब होने से बच सके. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को वैकल्पिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. यही वजह है कि हमारे गांव में शिमला मिर्च, मटर, खरबूजा और खीरा लगाया गया था. लेकिन हमारी हालत बहुत खराब है, हम इस बारे में बता नहीं सकते. उन्होंने कहा कि हमारे बीज का भी पूरा मूल्य नहीं मिला. अगर सरकार इन फसलों की मार्केटिंग नहीं करेगी तो गेहूं और धान के लिए फिर से खेतों में उतरना पड़ेगा. किसान फिर से धान और गेहूं के चक्र में फंस जाएगा.(अमरजीत सिंह की रिपोर्ट)
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