देश में आजकल सबसे अधिक चर्चा मोटे अनाजों की है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित करने के साथ ही भारत में दूरदराज के मोटे अनाजों की खेती करने वाले किसान समुदाय भी इस मिलेट आंदोलन में शामिल हो गए हैं जिसमें उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के किसान अपनी पारंपरिक अनाजों को फिर से अपनाने लगे हैं. किसानों को तकनीक के जरिए मदद करने में लेनोवो भी आगे आया है. लेनोवो ने केरल के IRHD कॉलेज में एक टेक सेंटर बनाया है जहां किसानों को लैपटॉप और मोबाइल से जुड़ी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
केरल के इडुक्की जिले के सुदूर गांव कंथलूर में ग्रामीण किसान अपने पारंपरिक अनाज को पुनर्जीवित करने और Lenovo के work for humankind से जुड़कर बेहतर तरीके से मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं. लेनोवो ने किसानों को फोन उपलब्ध कराएं हैं जिसके जरिए वह अपनी फसल से जुड़ी सारी जानकारी, सरकारी योजनाओं और मौसम इत्यादि के बारे में पता कर सकते हैं. लेनोवो से जुड़े लोग वॉलंटियर के तौर पर किसानों से जुड़कर उनकी समस्याएं सुलझाने में भी मदद कर रहे हैं.यहां.किसान अब सिर्फ रागी ही नहीं बल्कि बार्नयार्ड, लिटिल बाजरा, फॉक्सटेल, प्रोसो और कोदो जैसे मोटे अनाज तक की खेती कर रहे हैं. जानें इन अनाजों के फायदे
रागी या फिंगर मिलेट सबसे अधिक पौष्टिक अनाजों में से एक है और इसमें सभी अनाजों और मिलेट की तुलना में सबसे अधिक कैल्शियम और पोटेशियम होता है. बीज सस्ते होते हैं. वहीं इसकी खेती में अधिक उर्वरक या पानी की आवश्यकता नहीं होती है. इस किस्म को अन्य फसलों के अलावा लगभग कहीं भी उगाया जा सकता है, यहां तक कि पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है.
बार्नयार्ड मिलेट जिसे सांवा भी कहते हैं. ये एक कठोर फसल है जिसे किसी भी जलवायु या कीटों से कोई नुकसान नहीं होता है. इसमें अन्य अनाज वाली फसलों की तुलना में अधिक नाइट्रोजन-उपयोग दक्षता है और इसका उपयोग मिट्टी के प्रदूषण को रोकने के लिए भी किया जाता है. यह किस्म स्वाद में टूटे हुए चावल के समान है और इसमें उच्च स्तर का प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, खनिज और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स है. ये मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
लिटिल मिलेट जिसे कुटकी भी कहते हैं ये एक बहुमुखी मिलेट है जिसका उपयोग न केवल पौष्टिक भोजन के रूप में बल्कि पशु आहार और बायोएनर्जी के रूप में भी किया जाता है. यह एक ऐसी फसल है जो अधिकांश वातावरणों के लिए अनुकूल है. इसमें एक बेहतरीन पोषक तत्व है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए मैग्नीशियम और कैल्शियम, जिंक और प्रोटीन जैसे अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर है.
फॉक्सटेल मिलेट जिसे कंगनी के नाम से भी जाना जाता है. ये दुनिया की सबसे पहली खेती की जाने वाली फसलों में से एक है. इसका इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है. यह एक शुष्क मौसम की फसल है और मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है. इसका छोटा फसल चक्र और उच्च पोषण प्रोफ़ाइल इसे खाद्य सुरक्षा के लिए एक बेहतरीन फसल बनाती है. इसमें बहुत सारे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं.
प्रोसो मिलेट जिसे चेना के नाम से भी जाना जाता है. ये मोटा अनाज मात्र 60-100 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है. इस फसल को सूखा क्षेत्र में भी आसानी से लगा सकते हैं. प्रोसो मिलेट सूक्ष्म पोषक तत्वों और आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर है, जो हृदय स्वास्थ्य में मदद करता है और अन्य स्वास्थ्य लाभों के साथ इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है. प्रोसो को इसके पोषक तत्व के कारण पशुओं के चारे के रूप में भी उगाया जाता है.
कोदो मिलेट विविधताओं से भरपूर एक कठोर फसल है जो पथरीली मिट्टी के साथ शुष्क जलवायु के लिए सूखा प्रतिरोधी है. ये मोटा अनाज बाढ़ और दलदली भूमि में भी उगने में सक्षम है. इसके अलावा कोदो को कम पोषक तत्व वाली मिट्टी और बिना सिंचाई के भी उगाया जा सकता है. कोदो को चावल के बेहतर विकल्प के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. ये शरीर के रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.
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