इस बार कपास की पैदावार गिरेगी. पैदावार गिरने से इसके दाम में तेजी बनी रहेगी. पैदावार गिरने के पीछे दो वजहें हैं. पहली वजह-बुआई के वक्त अच्छी बारिश नहीं हुई और दूसरी वजह-कपास पर पिंक बॉलवर्म का हमला. इन दोनों वजहों से कपास की खेती पर गहरा असर पड़ा है.
कपास का यह नुकसान उत्तर भारत में देखा जा रहा है. पिंक बॉलवर्म कीट बहुत तेजी से कपास को चौपट करता है. इस बार यही देखने में आया है. इसके अलावा बारिश की कमी से इस बार कपास का रकबा पांच परसेंट घटा है. साथ ही मॉनसून की देरी से 15-20 दिन बुआई में देर हुई है. ऐसे में पैदावार गिरते ही दाम में उछाल देखा जाएगा.
मई में अच्छी बारिश हुई जबकि जून सूखा चला गया. फिर जुलाई में रिकॉर्ड बारिश हो गई. लेकिन अगस्त पूरी तरह से सूखा बीत गया. यहां तक कि आधा सितंबर भी सूखे से ग्रस्त रहा. आधे सितंबर में अच्छी बारिश हुई. इस तरह बारिश का पैटर्न बिगड़ने का बुरा असर कपास पर दिखा है. अब मौसम के लिहाज से अक्टूबर पर नजर है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि अगस्त-सितंबर के दौरान 45 दिन का सूखा कपास को पूरी तरह से प्रभावित कर गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार देश में कपास की कितनी पैदावार होगी, इसके बारे में अक्टूबर अंत में ही पता चल पाएगा. पैदावार के हिसाब से ही इस बार कपास के दाम भी तय होंगे. मंडियों में जैसी आवक होगी, उसी तरह से दाम भी देखे जाएंगे.
पिछले सीजन में किसानों को कपास के अच्छे दाम मिले थे. मंडियों में किसानों ने आवक कम रखी और उपज को रोके रखा. किसानों को कपास का दाम औसतन 7500 रुपये क्विंटल मिला जो कि 6380 रुपये की एमएसपी से अधिक रहा. किसानों को एमएसपी से 20 फीसद अधिक दाम मिले.
इस बार भी किसानों को एमएसपी से अधिक दाम मिलने की उम्मीद है. सरकार ने कपास की एमएसपी को बढ़ाकर 7020 रुपये कर दिया है. इस तरह एमएसपी से अधिक रेट मिलने पर किसानों को बंपर फायदा होगा. अभी किसान और व्यापारी दोनों 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं. अनुमान के मुताबिक मंडियों में 50,000-55,000 बेल्स आ सकती हैं.
इस बार कपास की पैदावार कम होने के पीछे बॉलवर्म को जिम्मेदार बताया जा रहा है. इस कीट के प्रकोप से कपास के फूल का साइज और क्वालिटी दोनों घट जाते हैं. इससे पहले उत्तर भारत में 2021-22 में बॉलवर्म का बड़ा हमला हुआ था. उस साल भी कपास की पैदावार गिरी थी. उस दौरान फूल के स्टेज में ही इस कीट ने हमला बोल दिया था. इससे फसल प्रभावित हुई थी.
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