प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट से महाराष्ट्र के किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. प्रदेश के किसान इस समय खरीफ सीजन के प्याज को खोदकर बाजार में बेच रहे हैं. लेकिन किसान एक से दो रुपये प्रति किलो की दर से बाजार में प्याज बेचने को मजबूर हैं, प्रति किलों प्याज उगाने में 18 से 20 रुपये प्रति किलो लागत आती है. किसानों का कहना है कि वे लंबे समय तक खरीफ सीजन के लिए प्याज का स्टॉक नहीं कर सकते हैं, इसलिए हम प्याज को कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं. इस परिस्थति में किसानों भारी नुकसान उठा रहे हैं. राज्य में कुछ दिनों में रबी सीजन की प्याज भी बाजार में आनी शुरू हो जाएगी.
प्याज की गिरती कीमतों से परेशान किसान अपनी प्याज की फसल को खेतों में पलट रहे हैं या फिर सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है, कि मंडियों में बेचने से क्या फायदा प्याज की इतनी कम कीमत मिल रही है. फेेकने या खेतों में प्याज को पलटने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. महाराष्ट्र में प्याज के दाम घटने को लेकर किसान लगातार विरोध कर रहे हैं.
महाराष्ट्र राज्य प्याज किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने दो दिन में किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया तो राज्य भर के किसान के राज्य प्याज किसान संघ नेतृत्व में विधान भवन का घेराव करेंगे.
राज्य के कई मंडियों में किसानों को प्याज का भाव एक रुपये किलो ही मिल रहा है. इसलिए किसान अपनी रबी सीजन की प्याज की फसल खेतों में ट्रैक्टरों चलाकर नष्ट कर उसकी जगह दूसरी फसल लगा रहे हैं. कुछ दिन पहले नासिक में एक किसान ने ट्रैक्टर से चार एकड़ प्याज की फसल को नष्ट कर दिया, जबकि वाशिम जिले में एक किसान ने जानवरों को प्याज खिला दिया. वहीं, राज्य सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि प्याज के दाम और किसानों को सब्सिडी देने पर चर्चा हो रही है. किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है. सरकार किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है.
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इस समय प्याज उत्पादक किसान परेशानियों का सामना कर रहे हैं. क्योंकि प्याज की कीमत में भारी गिरावट आई देखी जा रही है. इस मुद्दे पर प्याज उत्पादक संघ आक्रामक हो गया है. महाराष्ट्र राज्य प्याज किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि सरकार अगले 2 दिनों में प्याज के लिए 1500 रुपये की सब्सिडी की घोषणा करे. साथ ही प्याज किसान संघ ने मांग की है कि केंद्र सरकार को प्याज निर्यात बढ़ाने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने चाहिए. दिघोले ने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार 2 दिनों में इन मांगों पर फैसला नहीं लेगी तो राज्य भर के प्याज उत्पादक किसान विधान सभा का घेराव करेंगे.
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भरत दिघोले ने कहा कि पिछले साल 2022 से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है क्योंकि लाल और भंडारित गर्मियों के प्याज बहुत कम दामों पर बिक रहे थे. इसके अलावा, भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं के कारण उपज को नुकसान हुआ था. लेकिन इसके बावजूद किसानों ने बड़ी उम्मीद से खरीफ लाल प्याज की खेती किया था कि आगे वाले सीजन में प्याज की अच्छी कीमत मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, किसानों को प्याज के दो से चार रुपये प्रति किलो के भाव मिल रहे हैं. प्याज उत्पादकों की हालत यह हो गई है कि उन्हें मार्केट कमेटी में प्याज बेचकर मुनाफा कमाने के बजाय अपनी जेब से पैसा देना पड़ रहा है. लेकिन सरकार उत्पादकों के लिए कोई ठोस कदम उठाती नजर नहीं आ रही है.
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