पपीते का उत्पादन घटा, बेहतर दाम मिलने से किसान खुश

पपीते का उत्पादन घटा, बेहतर दाम मिलने से किसान खुश

महाराष्ट्र के जलगांव में पपीते की फसल पर कीटों के अटैक के वजह से उत्पादन में गिरावट आई है. पपीते का उत्पादन कम होने से किसानों को बाजार में उनकी उपज का15 से 17 रुपये किलो भाव मिल रहा है.अच्छी कीमत मिलने से किसान काफी खुश हैं और व्यापारियों का कहना है कि आने वाले समय में पपीते के दाम और बढ़ सकते हैं.

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पपीते का उत्पादन घटा, बेहतर दाम मिलने से किसान खुशकिसान को पपीता का मिला अच्छा भाव

महाराष्ट्र में जहां एक तरफ इस साल प्याज और टमाटर की कम कीमत मिलने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं केले और पपीते के बेहतर दाम मिलने से किसान काफी खुश हैं. जलगांव जिले के करंज गांव के रहने वाले किसान प्रदीप जगन्नाथ पाटिल ने एक एकड़ क्षेत्र में पपीते के बाग लगाए हैं. कई पपीता उत्पादकों का कहना है कि इस साल पपीते के बागों में कीड़ों के हमले से उत्पादन में गिरावट आई है, लेकिन पपीते की अच्छी कीमत ने नुकसान की भरपाई कर दी है. किसानों को पपीते के अलावा केले के भी अच्छे दाम मिल रहे हैं. अगले साल पपीता और केले का रकबा बढ़ने का अनुमान है.

किसानों को इस समय बाजार में पपीते का भाव 15 रुपये से 17 रुपये किलो तक मिल रहा है. वहीं, कारोबारियों का कहना है कि कीमतों में और तेजी आ सकती है. किसान प्रदीप जगन्नाथ पाटिल के पास तीन एकड़ का खेत है, जिसमें से उन्होंने पिछले साल वीएनआर 15 किस्म के पपीते के पौधे रोपे थे. इस क‍ि‍स्म में वायरस का प्रकोप बहुत कम होता है. 

पाटिल ने बताया कि इससे उन्हें इस किस्म से अच्छा उत्पादन मिला. उन्होंने बताया कि उन्होंने पपीते के पौधे लगाने से पहले गहरी जुताई और उसके बाद रोटाबेटर से खेत को अच्छी तरह तैयार किया था. इसके बाद लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 6 फीट रखी गई. उन्होंने बताया कि रोपाई के समय जैविक खाद के साथ रासायनिक खाद का प्रयोग किया  था. 

पाटिल का बताया कि पपीते की सिंचाई ड्रिप के माध्यम से जरूरत के हिसाब से प्रतिदिन दो से चार घंटे पानी दिया था. उन्होंने आगे बताया पपीते पर कीटों प्रकोप होने पर कीटनाशी दवा और कवकों से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए पपीते पर कवकनाशी का छिड़काव किया था.

किसान को मिला रि‍कॉर्ड रेट

प्रदीप पाटिल ने पपीता की खेती के अच्छी तरह से योजना बना कर किया था, जिसका परिणाम रहा कि एक पपीते के पौध पर औसतन 75 किलो की उपज मिली. उन्होंने बताया कि एक एकड़ खेत में 750 पेड़ लगाए थे. उनका कहना था कि  बेहतर क्वालिटी पपीते का भाव औसतन 17 रुपये प्रति किलो मिला. उन्होंने बताया कि इसी तरह पपीते की खेती करने वाले दूसरें किसानों को फायदा मिल रहा है. प्रदीप पाटिल ने बताया कि अभी तक खेत से पपीते की चार बार उपज निकाली जा चुकी है. इसमें उन्हें अभी 25 टन पपीता का उत्पादन मिला है और बाजार में औसतन 15 रुपये प्रति किलो की हिसाब से बेहतर भाव मिले है, उनका कहना था कि अब तक उन्हें पच्चीस टन उत्पादन में  लगभग ढाई लाख के आस पास खर्च आया  है  और पपीते की खेती लागत खर्च को घटा दिया जाय तो  उन्हें  3,25,000 रुपये का शुद्ध लाभ मिला है.

क्या कहना है व्यापारियों

पपीते के कारोबारियों का कहना है कि इस साल केले के उत्पादन में भारी गिरावट के कारण केले के बाद पपीते के दाम भी इस साल रिकॉर्ड स्तर पर हैं. इस साल खेती कम होने से  बाजार में आवक कम है और  हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, जम्मू, श्रीनगर में काफी मांग है.जिसके चलते पपीते का भाव 17 रुपये प्रति किलो की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है.पपीता कारोबारियों ने भी पपीते का आगे भी बेहतर दाम रहने का  अनुमान जताया है.
 

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