क्या आपने अल्फांसो का नाम सुना है? फलों का राजा होता है आम... और आमों का राजा अल्फांसो आम है. इस साल अल्फांसों आम का दाम अच्छा खासा बढ़ सकता है. क्योंकि फसल पिछले साल से कुछ कम है. ऐसा वहां महाराष्ट्र के किसान बता रहे हैं. महाराष्ट्र आम की इस किस्म का प्रमुख उत्पादक है. क्योंकि अल्फांसो, जिसे हापुस के नाम से भी जाना जाता है, को 2018 में यहां के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, पालघर, ठाणे और रायगढ़ जिलों में भौगोलिक संकेत (जीआई) मिल चुका है. इससे इसकी न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी खासियत की वजह से इसकी काफी मांग है. ऐसे में कुछ ही जिलों में पैदा होने वाले इस आम का दाम बहुत तेजी से बढ़ता है.
रत्नागिरी जिले के दापोली तालुका निवासी शरद श्रीकृष्ण परांपजपे लंबे समय से अल्फांसो की खेती करते हैं. उन्होंने 10 एकड़ में अल्फांसों आम के 350 प्लांट यानी पेड़ लगाएं हैं. उन्होंने बताया कि दो साल पहले आंधी आने से क्षेत्र में काफी किसानों के हापुस आम के पौधे टूट गए थे, जिससे नई डाली आने में वक्त लगा. इस साल उनमें फ्लावरिंग हुई है, लेकिन फसल उतनी नहीं है जितनी होनी चाहिए इसलिए दाम तेज रहने का अनुमान है.
आमों के राजा अल्फांसों को जीआई टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ गई है. देश में भी काफी प्रचार हो गया है. इस समय किसान रिटेल में 1000 रुपये दर्जन पर बिक्री हो रही है, जो लोग मंडियों में बेच रहे हैं, होलसेल में उन्हें थोड़ा कम दाम मिल रहा है. एक्सपोर्ट के लिए भी अल्फांसाे आम की खूब मांग है. रत्नागिरी और सिंधु दुर्ग में भी फसल कम है, इसलिए दाम कुछ और बढ़ सकता है. रत्नागिरी का आम जीआई की वजह से बहुत प्रमाणिक है.
परांपजपे ने किसान तक से बातचीत में बताया कि एक प्लांट में अधिकतम 50 किलो तक आम निकल जाता है. इसकी काफी देखभाल करनी पड़ती है. अब होलसेल में बेचने पर किसानों को फायदा नहीं होता. इसलिए ज्यादातर किसान रिटेल में बेचना पसंद कर रहे हैं. इस बार बारिश नहीं हुई है, आंधी नहीं आई है. इसलिए फसल की गुणवत्ता ठीक है. आम साफ है, लेकिन उत्पादन कम रहने का अनुमान है. इसलिए रेट में और वृद्धि हो सकती है.
भारत में आम की कई किस्में मिलती हैं. इनमें दशहरी, लंगड़ा, जर्दालू, केसर, बंगनपल्ली, चौसा, हिम सागर, नीलम और मल्लिका के नाम प्रमुख हैं. ये सब किलो के भाव बिकते हैं, लेकिन अल्फांसो आम बहुत खास है. यह काफी महंगा है इसलिए इसे दर्जन में बेचा जाता है. इसके एक आम का वजन 150 से 350 ग्राम तक हो सकता है. यह पकने के एक सप्ताह तक खराब नहीं होता. हालांकि, यह आम महंगा है लेकिन स्वाद की वजह से लोग दाम देते हैं.
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