मशरूम की खेती आज की तारीख में कम पूंजी में अधिक मुनाफा कमाने वाला जरिया बनता जा रहा है. यही कारण है कि युवाओं और महिलाओं का रुझान इस तरफ काफी बढ़ा है और मशरूम उत्पादन करके वो अच्छी कमाई हासिल कर रहे हैं. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत जमशेदपुर के रहने वाले युवा देवाशीष कुमार भी एक ऐसे ही मशरूम उत्पादन किसान हैं जिन्होंने छोटी सी लागत में मशरुम की खेती शुरु की थी और आज महीने में 50-60 हजार रुपए की कमाई कर रहे हैं. देवाशीष कुमार ने मशरुम की खेती के लिए अपने सफर की शुरुआत एक हजार रुपए से की थी और आज उनका महीने का टर्नओवर एक लाख 20 हजार रुपये तक हो जाता है.
देवाशीष की सफलता की कहानी की शुरुआत साल 2015 में हुई थी. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद एचएडीएफ बैंक में नौकरी कर रहे थे. इस बीच उनकी शादी हुई, और 2015 में समस्तीपुर के राजेंद्र कृषि विश्विदियालय में गए और वहां पर मशरुम उत्पादन के बारे में जानकारी हासिल की और अच्छे से प्रशिक्षण प्राप्त किया. हालाकिं 2015 में गैस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में सेल्स मैनेजर के पद पर उनकी नौकरी लग गई और वो नौकरी में चले गए. पर उन्हें वहां मन नहीं लगा. क्योंकि देवाशीष को शुरु से ही खेती बारी में काफी दिलचस्पी थी और कृषि के क्षेत्र में काम करना चाहते थे. उन्हें रुटीन में बंधकर नौकरी करना अच्छा नहीं लग रहा था.
इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और घर आकर एक हजार रुपए की पूंजी लगाकर मशरुम की खेती की शुरुआत की. देवाशीष के घर पर उनके फैसले का काफी विरोध हुआ क्योंकि घर में उनके छोटे भाई भी सरकारी नौकरी में हैं. पर देवाशीष ने अपना फैसला नहीं बदला. उनका खुद का घर बड़ा था जिसका उन्हें फायदा मिला और घर के ही चार कमरों से मशरुम की खेती की शुरुआत की. पहली बार में ही अच्छा उत्पादन हुआ और मांग भी अच्छी रही. इसके बाद से कभी भी देवाशीष ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज अपने फार्म में वो दो महिलाओं को रोजगार भी देते हैं. इसके अलावा खुद भी घर में बैठकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. देवाशीष मशरुम उत्पादन के साथ साथ नए लोगों को मशरुम उत्पादन की ट्रेनिंग भी देते हैं.
मशरुम की खेती का फायदा इसी बात से समझा जा सकता है कि मात्र डेढ़ कट्ठा जमीन पर खेती करके देवाशीष महीने में इतनी अच्छी कमाई कर रहे हैं. गर्मियों के मौसम में तापमान को नियंत्रित करने के लिए वो मशरुम वाले कमरे में तीन इंच बालू को बिछा देते हैं. फिर उसमें समय समय पर पानी का छिड़काव करते हैं. इससे कमरे का तापमान बना रहता है. इसके अलावा नमी को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने जुगाड तकनीक से ह्यूमिड फायर मशीन बनाई है जो फॉगिंगि मशीन की तरह कार्य करती है.
देवाशीष मुख्य रुप से मिल्की मशरूम, ऑएस्टर, पैडी स्ट्रॉ और क्लाऊड मशरुम की खेती करते हैं. साथ ही मशरुम पाउडर भी बनाते हैं. वेंडर्स आकर उनसे सारा मशरुम खरीद लेते हैं. सर्दियों के दिनों में चार की बजाए छह कमरों में मशरुम उत्पादन करते हैं. वो कहते हैं इस काम को करके उन्हें बेहद खुशी मिलती है. उनके मशरुम की खास बात यह है कि वो जैविक तरीके से खेती करते हैं. पुआल को वो केमिकल से नहीं पानी में खौलाकर गर्म करके स्टरलाईज करते हैं. साथ ही कमरे में कीट और बीमारियों से बचाव के लिए नीम के तेल का छिड़काव करते हैं.
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