झारखंड में उन्नत किस्म के मक्के की खेती करें किसान, कम बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों ने दी सलाह

झारखंड में उन्नत किस्म के मक्के की खेती करें किसान, कम बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों ने दी सलाह

झारखडं में किसानों के लिए जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि मक्का में धब्बेदार तना छेदक कीट तना के मध्य भाग को नुकसान पहुंचा सकता है. जिन इलाकों में अधिक बारिश होती है उन इलाकों में तना सड़न रोग की समस्या खेतों में देखने के लिए मिलती है. इससे बचाव के लिए खेत में 17 ग्राम स्ट्रेक्टिव साइक्लिन और 50 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में छिड़काव करें. 

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झारखंड में उन्नत किस्म के मक्के की खेती करें किसान, कम बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों ने दी सलाहमक्के की खेती

झारखंड में फिलहाल मौसम विभाग में अगले पांच दिनों तक कई जिलों में अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की है. पर राज्य के किसान अभी भी बारिश की कमी का सामना कर रहे हैं. मौसम विज्ञान केंद्र रांची की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में अभी तक सामान्य से कम बारिश हुई है. ऐसे में धान की खेती प्रभावित हुई है पर मक्के की खेती इस बार राज्य में अच्छी हुई है. क्योंकि रुक-रुक हो रही बारिश ने किसानों को ऊपरी जमीन पर खेती करने का अच्छा मौका दिया है. पिछले सप्ताह कृषि विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य में 86 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती हो चुकी है. कम बारिश होने की स्थिति में यह किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. 

झारखंड में लगातार दो साल के सूखे के बाद किसान डरे हुए हैं, इस साल भी अब तक कम बारिश हुई है ऐसे में इसकी खेती से किसान धान की कमी की भारपाई कर सकते हैं क्योंकि इसकी के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है. यह इसलिए भी लाभदायक है क्योंकि इसकी गिनती मोटे अनाजों में होती है. इससे अनाज भी मिलता है और पशुओं के लिए चारे का भी इंतजाम हो जाता है. झारखंड जैसे पठारी क्षेत्र के लिए यह बहुच अच्छी फसल मानी जाती है. सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है. इस देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने राज्य के किसानों के लिए मक्के की खेती को लेकर सलाह जारी किया है. 

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तना छेदक कीट से बचाव के उपाय

झारखडं में किसानों के लिए जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि मक्का में धब्बेदार तना छेदक कीट तना के मध्य भाग को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे बचाव के लिए पोरेट 10 जी को दस किलोग्राम बीज के साथ मिलाकर खेत में बुवाई करना चाहिए. इसके अलावा खेत में इसका भुरकाव करना चाहिए. तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए बीज के  अंकुरण होने के 15 दिन बाद खेत में क्विनाल, फस 25 इशिका 800 एमएल को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. सलाह में यह भी कहा गया है कि जिन इलाकों में अधिक बारिश होती है उन इलाकों में तना सड़न रोग की समस्या खेतों में देखने के लिए मिलती है. इससे बचाव के लिए खेत में 17 ग्राम स्ट्रेक्टिव साइक्लिन और 50 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में छिड़काव करें. 

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इन उन्नत किस्मों की करें खेती

कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के कृषि वानिकी पदाधिकारी रुपेश रंजन ने मक्का की खेती को लेकर जानकारी देते हुए बताया गया मक्के की खेती के लिए जून और जुलाई का समय उपयुक्त माना गया है. झारखंड में मक्के की खेती के लिए किसान इसकी उन्नत किस्में जैसे पूसा, विवेक, क्यूजी चेन, शंकर, पूसा एच9जबल्यू 43, डी 941, गंगा 5, शक्ति वन, पूसा हाईब्रिड वन, शक्तिमान वन का प्रयोग कर सकते हैं. इससे उन्हें अच्छी पैदावार हासिल होगी साथ ही मक्के की गुणवत्ता भी अच्छी रहेगी. मक्के की खेती के लिए कतार से कतार की दूरी 75 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

 

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