जेठ मास गर्मी लेकर आता है. जेठ आते ही गर्मी अपने उरूज पर होती है. जेठ की दोपहरिया बहुत ज्यादा तपती है. ऐसा लगता है, जैसे सब कुछ झुलस जाएगा. लेकिन हिमाचल प्रदेश में जेठ की दोपहरी अब तपती नहीं है. यहां जून के महीने में ठंड नवंबर वाली हो रही है और हर रोज हो रही बारिश से ऐसा लगता है मानो बरसात का मौसम आ गया हो. लोग भी इस मौसम से हैरान और परेशान हैं. उनका कहना है कि 50 से 60 साल की उम्र में अत तक उन्होंने ऐसा मौसम पहले नहीं देखा.
जेठ मास में बहुत गर्मी पड़ती है. भारतीय ऋतु चक्र के हिसाब से जेठ से आषाढ़ यानी कि अप्रैल से जून का मौसम ग्रीष्म ऋतु का होता है. जेठ आते ही गर्मी अपने उरूज पर होती है. जेठ की दोपहरिया बहुत ज्यादा तपती है. ऐसा लगता है, जैसे सब कुछ झुलस जाएगा. हवा कुछ इस कदर गर्म हो जाती है कि सड़क पर दूर तक देखें तो मृग मरीचिका का एहसास होता है. यानी ऐसा लगता है जैसे आगे सड़क पर पानी बह रहा हो.
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जेठ के महीने में जहां तपती गर्मी से हाल बेहाल होते थे. वही हिमाचल प्रदेश में जून के महीने में लोग नवंबर का एहसास कर रहे हैं. कहा गया है कि जून के महीने में गर्मियों के तीर चलते हैं. इस दौरान जरा सी भी बारिश नहीं होती. लेकिन इस बार गर्मी के बजाय लोग कूल कूल मौसम का आनंद ले रहे हैं. मौसम का ये बदलाव हैरान और परेशान करने वाला है. हर रोज रिमझिम बारिश का दौर जारी रहता है. ठंड नवंबर वाली लगती है तो बारिश से ऐसा लगता है जैसे बरसात का मौसम हो. लोग इस बदले मौसम से हैरान भी हैं और गर्मी से राहत भी महसूस कर रहे हैं.
मंडी शहर के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन के 50-60 साल की उम्र में इस तरह का मौसम कभी नहीं देखा. बरसात और सर्दियों के बीच वाला मौसम इन दिनों बना हुआ है. हालांकि गर्मी की दृष्टि से यह मौसम राहत भरा है. लेकिन फसलों पर असर देखने को मिल रहा है. हर रोज बारिश होने से किसान मक्की की बिजाई नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि मिट्टी में ज्यादा नमी आ गई है. उन्होंने कहा कि मंडी में बुजुर्गों की कहावत है कि अधिक गर्मी के बाद बारिश जरूर होती है. लेकिन बारिश का ये सिलसिला लगातार जारी है और ठंड का एहसास हो रहा है. ग्लोबल वॉर्मिग को भी लोग मौसम बदलने का कारण बता रहे हैं.
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हिमाचल प्रदेश में इन दिनों के मौसम से सभी हैरान हैं. एक तरफ देखा जाए तो ये मौसम गर्मी से राहत दे रहा है, लेकिन दूसरी तरफ इस खराब मौसम का असर फसलों पर पड़ रहा है. बेमौसमी बारिश से पहले गेहूं की फसल बर्बाद हुई. वही अब हर रोज हो रही बारिश से मक्की की बिजाई लोग नहीं कर पा रहें. अत्याधिक बारिश से मिट्टी में नमी हो गई है. इस बारिश से गुठलीदार फलों को भी नुकसान पहुंचा है.
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