देशभर में गेहूं की एमएसपी पर सरकारी खरीद तेजी पकड़ रही है. हरियाणा में भी 1 अप्रैल से शुरू हुई खरीद प्रक्रिया जारी है और फसल कटाई चरम पर चल रही है. इस बीच मंडियों से जो खबर सामने आ रही है, यह किसानों और आढ़तियों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. प्रदेश में अब तक खरीदे गए गेहूं में से 46 प्रतिशत गेहूं का उठान होना बाकी है. इसके कारण मंडियों में नई आवक के लिए जगह की कमी पड़ रही है. ‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं उठान का काम धीमा चल रहा है. कुल उठान 45.48 फीसदी दर्ज किया गया है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रोहतक में 36.77 फीसदी, भिवानी में 38.15 फीसदी, सिरसा में 38.25 फीसदी, फतेहाबाद 39.12 फीसदी और सोनीपत 43.40 फीसदी दर्ज किया गया है, जो वर्तमान में राज्य के औसत से नीचे है. पंचकूला में सबसे कम गेहूं उठान की बात कही जा रही है. यहां सिर्फ 25.25 फीसदी गेहूं का उठान हुआ है. कैथल में भी लगभग यही स्थिति बनी हुई है, जहां 26.05 प्रतिशत उठान हुआ है.
वहीं, कुछ जिले ऐसे हैं, जहां मध्यम उठान दर्ज किया गया है. इनमें फरीदाबाद 59.13 प्रतिशत अंबाला 57.38 प्रतिशत, गुरुग्राम 51.92 प्रतिशत, हिसार 50.76 प्रतिशत और करनाल 55.10 प्रतिशत शामिल हैं. वहीं, पानीपत में 57.04 प्रतिशत और कुरुक्षेत्र 48.00 प्रतिशत उठान दर्ज किया गया है. अगर कम उठान वाले जिलों के प्रदर्शन में थोड़ी तेजी आती है तो राज्य का औसत सुधर सकता है. इनमें सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला जिला मेवात है, जहां 81.77% उठान रिकॉर्ड के साथ शीर्ष जिला बन गया है.
हिसार के जिला खाद्य और आपूर्ति नियंत्रक अमित शेखावत ने कहा कि एक साथ कटाई होने के कारण किसानों भारी मात्रा में गेहूं लेकर मंडी पहुंच रहे हैं, इसलिए अचानक ज्यादा स्टॉक आने से मंडियों में अनाज का ढेर लग गया है, जबकि जिले में उठान का काम सही से चल रहा है.
इससे पहले कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गेहूं खरीद की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए कि गड़बड़ काम और अव्यवस्था के चलते उठान में देरी और किसानों को हो रही परेशानी को लेकर सवाल खड़े किए और राज्य सरकार पर हमला बोला. उन्होंने काम में ढिलाई करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की मांग की.
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