
हरियाणा में अब किसान परंपरागत तरीके से खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती करने लगे हैं. परंपरागत तरीके से खेती करके किसानों को कुछ अच्छा मुनाफा नहीं हो रहा था लेकिन अब आधुनिक तरीके से फसल चक्र अपना कर किसान समृद्ध बना रहे हैं और कृषि के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहे हैं.
करनाल का गांव पधाना एक ऐसा ही गांव है जहां के किसानों ने दूसरे किसानों से अलग तरीके अपना कर अपने आप को समृद्ध बनाया है. वे अपने गांव की भारत ही नहीं बल्कि देश-विदेश में एक अलग पहचान बना रहे हैं. यहां पर बड़े स्तर पर टमाटर की खेती की जाती है. इस गांव का आधुनिक तरीका इतना सफल है कि यहां का टमाटर रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां खेत में ही खरीदने आती हैं.
सिर्फ यही नहीं, दूसरे राज्यों के व्यापारी भी यहां पर टमाटर खरीदने के लिए पहुंचते हैं. भारत के अलावा इस गांव का टमाटर पाकिस्तान में भी खरीदा जाता है.
पानी की लागत, मुनाफा ज्यादा
पधाना के लोग टमाटर उगाने के लिए बेल यानी वाइन (Vine) तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. वे कुछ समय पहले तक बेड (Tomato bed) पद्धति का इस्तेमाल करते थे. जिसके तहत टमाटर सिर्फ जमीन पर उगाया जाता था. वाइन तकनीक के जरिए टमाटर की उपज दो से तीन गुणा बढ़ाई गई है. और किसानों की आय में भी मोटा इज़ाफ़ा हुआ है.
टमाटर को उगाने की इस पद्धति की खास बात यह है कि इसमें पानी की लागत कम होती है, जबकि मुनाफा ज्यादा होता है. किसान राजकुमार ने कहा कि वह पिछले काफी सालों से टमाटर की खेती करते आ रहे हैं. यह काफी फायदे की खेती है. इस खेती में पानी की बचत भी होती है और इसके साथ-साथ किसान टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा भी लेते हैं.
जब टमाटर छोटा होता है तब उसमें दूसरी फसल भी ली जा सकती है जिसे आमदनी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा "अगर हम धान और गेहूं की फसल करते हैं तो उसमें इतना मुनाफा नहीं होता. अगर टमाटर का भाव अच्छा ना मिले फिर भी दो लाख से ऊपर का टमाटर एक बार में निकल जाता है. जो किसान भाई परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं उनको भी आधुनिक तरीके से खेती करने की तरफ बढ़ना चाहिए ताकि वह खेती को मुनाफे का सौदा बन सके."
35 वर्षों से हो रही टमाटर की खेती
करनाल के पधाना गांव के किसान प्रदीप राणा ने बताया कि उनके गांव में पिछले 35 वर्षों से टमाटर की खेती हो रही है. गांव के किसानों ने 1990 में टमाटर की खेती शुरू की थी. तीन दशक बाद भी यह जारी है. पहले छोटे स्तर पर टमाटर की खेती की जाती थी लेकिन धीरे-धीरे किसानों ने टमाटर की खेती को बड़े स्तर पर करना शुरू किया. अब पूरा गांव ही टमाटर की खेती कर रहा है.
हरियाणा का एकमात्र गांव जहां होती है सबसे ज्यादा टमाटर की खेती
राणा ने बताया कि उनका गांव पधाना हरियाणा का एकमात्र ऐसा गांव है जहां पर सबसे बड़े स्तर पर टमाटर की खेती की जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके गांव में गरीब 3000 एकड़ किसानों की भूमि है जबकि करीब 500 एकड़ पंचायत की जमीन है. गांव में 3500 एकड़ जमीन में से 50% जमीन पर टमाटर की खेती की जा रही है.
एक एकड़ से निकलता है 5-6 लाख का टमाटर
राणा ने दावा किया है कि पहले किसान बेड पर लगने वाले टमाटर लगाया करते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों से वह बेल वाले टमाटर लगा रहे हैं. इन बेलों की ऊंचाई छह फीट से भी ज्यादा होती है. अगर कोई बांस और तार पर टमाटर की बेल लगाता है तो उसे खेत में 1800 से 2000 क्रेटें निकल आती है. और एक क्रेट में 25 किलो टमाटर आता है.
अगर बिना बेल वाला टमाटर लगाया जाता है तो एक एकड़ में 700-1000 क्रेटें ही निकलती हैं. उन्होंने बताया कि टमाटर के रेट में उतार-चढ़ाव बना रहता है. राणा कहते हैं, "इस समय एक क्रेट के 250-300 रुपए तक मिल रहे हैं. कई बार रेट अच्छा होता है तो 500 से 600 प्रति क्रेट भी मिल जाता है. इस रेट में भी करीब ढाई लाख से लेकर तीन लाख रुपए प्रति एकड़ निकल आते हैं. जब रेट अच्छा हो तो 5-6 लाख रुपए का टमाटर एक सीजन में निकल जाता है."
रिलायंस जैसी कंपनियां आती हैं टमाटर खरीदने
गांव के किसान सुरेंद्र राणा ने बताया कि उनका गांव हरियाणा या भारत ही नहीं विदेश में भी टमाटर की खेती में प्रसिद्ध है. और उनके गांव का टमाटर भारत के अलग-अलग कोने में जाने के साथ-साथ पाकिस्तान तक जाता है. उनके टमाटर की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां उनके खेत में ही टमाटर खरीदने के लिए आती हैं.
गांव में कुछ ऐसे किसान भी हैं जिनका पिछले करीब 15 सालों से रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों के साथ अनुबंध है और वह उनके टमाटर को अच्छे दामों पर खरीद कर लेकर जाते हैं. राणा ने बताया कि गांव के बहुत से किसानों का रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट है. अगर किसी किसान भाई का उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट नहीं है तो उनके गांव में टमाटर की मंडी भी बनी हुई है.
यहां पर गांव के किसान ही नहीं बल्कि करनाल जिले और दूसरे जिलों के किसान भी अपने टमाटर बेचने के लिए आते हैं. यहां पर दिल्ली सहित अन्य राज्यों से व्यापारी टमाटर खरीदने के लिए आते हैं. ऐसे में किसानों का यह खर्च भी बच जाता है कि उनको टमाटर लेकर दिल्ली या कहीं और नहीं जाना पड़ता. समय के साथ-साथ पैसों की भी बचत होती है.
राजकुमार कहते हैं कि अगर कोई किसान टमाटर की नई खेती शुरू करते है तो करीब 1 लाख रुपया खर्चा एक एकड़ पर आता है जिसमें सिर्फ बागवानी विभाग के द्वारा बांस और तार लगाने पर अनुदान भी दिया जाता है. अगर किसी ने पहले ही यह योजना ली हुई है तो उसपर टमाटर की खेती करने पर खर्च करीब 50,000 रूपये आता है और मुनाफा बहुत ही ज्यादा है. वह फसल चक्र भी अपनाते हैं.
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