वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश कर दिया है. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि तमाम चुनौतियों के बीच देश की सकल घरेलू उत्पाद दर यानी GDP दर 8.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है. आर्थिक सर्वेक्षण में 2025 में भी तेज जीडीपी में ग्रोथ का अनुमान जताया गया है. आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5-7 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके अलावा कृषि सेक्टर में भी तेजी रही है. सर्वे में कहा गया है कि उर्वरक की कीमतें कम रही हैं. हालांकि, 2019 की कीमतों की तुलना में 2025 में उर्वरक के दाम ऊपर रहने का अनुमान है.
लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है. कई चुनौतियों के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2023 में बनी गति को वित्त वर्ष 2024 में भी जारी रखा है. वित्त वर्ष 24 में भारत की वास्तविक जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 24 की चार तिमाहियों में से तीन में 8 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई. व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने से यह सुनिश्चित हुआ कि बाहरी चुनौतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़े.
प्रतिकूल मौसम के चलते खाद्य कीमतों पर दबाव है. पिछले दो वर्षों में खाद्य महंगाई वैश्विक चिंता का विषय रही है. भारत में कृषि क्षेत्र को भीषण मौसम की अनियमित घटनाओं का सामना करना पड़ा है. जलाशयों की संख्या में गिरावट और फसल नुकसान के चलते चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे कृषि उत्पादन और खाद्य कीमतें प्रभावित रहीं. वित्त वर्ष 23 में खाद्य मुद्रास्फीति 6.6 प्रतिशत रही और वित्त वर्ष 24 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो गई.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि सर्विस महंगाई और मजबूत श्रम बाजार के चलते कोर महंगाई दर स्थिर बनी रही. वहीं, वित्त वर्ष 24 में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक परेशानियों, सप्लाई चेन में बाधाओं और मानसून की अनिश्चितताओं से पैदा हुए महंगाई के दबाव को प्रबंधित किया गया है. कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 में औसतन खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसदी के बाद वित्त वर्ष 2024 में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि उर्वरक की कीमतें कम होने की संभावना है. हालांकि, कृषि सेक्टर में तेजी के चलते मजबूत मांग बनी हुई और निर्यात प्रतिबंधों के कारण 2015-2019 के स्तर से कीमतें ऊपर रहेंगी.
वित्तमंत्री ने कहा कि कारोबार में सुगमता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जवाब में करीब 11 कदमों का उल्लेख किया गया है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है 63 अपराधों को गैर-अपराधीकरण करना, जिसके परिणामस्वरूप आज कंपनियां अनुपालन की चिंता किए बिना अपना काम कर पा रही हैं. उन्होंने कहा कि एक केंद्रीय प्रसंस्करण प्रणाली भी स्थापित की गई है.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र अभी भी एक प्रमुख रोजगार देने वाला बना हुआ है. लेकिन, निर्माण क्षेत्र प्रमुखता से उभर रहा है, जो सरकार के बुनियादी ढांचे के लिए जोर देने से प्रेरित है. हालांकि, निर्माण संबंधी नौकरियां काफी हद तक अनौपचारिक और कम वेतन वाली हैं, इसलिए कृषि छोड़ने वाले श्रम बल के लिए अवसरों की आवश्यकता है. पिछले एक दशक में खराब लोन की विरासत के कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार सृजन धीमा रहा है और ऐसा लगता है कि 2021-22 से इसमें उछाल आया है.
हर साल देश का बजट (Budget) पेश किए जाने से पहले सरकार की ओर से संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) रखा जाता है. ये आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है, और इसमें इकोनॉमी की पूरी तस्वीर सामने आती है और इसे पिछले वित्तीय वर्ष की समीक्षा के आधार पर जाता है. इसके जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की ताजा फाइनेंशियल हालत के बारे में बताती है. इसमें साल भर में डेवलपमेंट ट्रेंड, किस सेक्टर से कितनी कमाई हुई, किस सेक्टर में कैन सी योजनाएं किस तरह लागू हुईं, इन सबकी जानकारी शामिल होती है.
Economic Survey को बजट का मुख्य आधार माना जाता है. लेकिन, ऐसा जरूरी नहीं है कि इसकी सिफारिशों को सरकार लागू ही करे. आर्थिक सर्वेक्षण में सरकारी नीतियों, प्रमुख आर्थिक आंकड़े और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है. इस सर्वे से आम जनता को महंगाई, बेरोजगारी के आंकड़े तो मिलते ही हैं. इसके साथ ही निवेश, बचत और खर्च करने का आइडिया मिल जाता है.
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