
UP News: उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है, जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार पहुंच गया है. इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी का असर इंसानों के साथ ही पशुओं पर भी दिख रहा है. जहां हीटवेव के कारण मवेशियों में लंगड़ा बुखार का कहर देखने को मिल रहा है. ताजा मामला राजधानी लखनऊ के भगत पुरवा गांव के रहने वाले पशुपालक रवि यादव की भैंस की मौत बुखार आने के कारण हो गई. बक्शी के तालाब में बीते 12 सालों से डेयरी पालन का कारोबार करने वाले रवि ने बताया कि दो दिनों पहले भैंस को 114 डिग्री बुखार आया था. पशु चिकित्सक को बुलाया था, उन्होंने भैंस को चेक करने के बाद दवा दिया था. लेकिन बुखार आने के 12 घंटे के अंदर उसकी मौत हो गई. भैंस की मौत के बाद किसान रवि काफी मायूस हैं. उन्होंने बताया कि दो महीने पहले 1.25 लाख रुपये में भैंस खरीदकर लाए थे. वहीं उसकी मौत से काफी बड़ा नुकसान हुआ है.
पशुपालक रवि यादव बताते हैं कि जो भैंस रोजाना 10 लीटर दूध देती थी, वो अब सुबह शाम 6-7 लीटर के करीब दूध दे रही है. दरअसल गर्मी के मौसम में पशुओं को दो बार नहलाने के बाद सुस्ती नहीं जाती है. उन्होंने बताया कि गाय-भैंस के लिए तालाब में 2-3 घंटे अगर छोड़ दिया जाए, तो उनको थोड़ी राहत मिलेगी. लेकिन भीषण गर्मी और लू के कारण हम लोग अपने पशुओं को तालाब में नहीं छोड़ रहे हैं. बीते 12 वर्षों से डेयरी चलाने वाले रवि यादव ने आगे बताया कि हर साल गर्मी के मौसम में दूध की मात्रा में गिरावट आ जाती है और हम को नुकसान होने लगता है.
मामले में उप्र पशुपालन विभाग निदेशक डॉ. आरएन सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि दूध उत्पादन में कमी को रोकने हेतु सभी पशुपालकों को अपने पशुओं का विशेष ख्याल रखना होगा. उसके लिए सुबह से शाम तक पशुओं को छायादार स्थान पर बांधकर रखना चाहिए, वहीं खेतों में खुला नहीं छोड़े, जिससे वो गर्मी या लू की चपेट में ना आ सकें. उन्होंने बताया कि गर्मियों में पशुओं के खान-पान का ख्याल रखना होगा. उनको ज्यादा से ज्यादा हरा चारा देना चाहिए. वहीं सुबह और शाम उनको नहलाना चाहिए. वहीं पशुओं को दिन 4 से 5 बार साफ और ठंडा पानी पिलवाएं. जिससे उनके अंदर सुस्ती ना रहे.
पशु विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादा तापमान बढ़ने पर एक बाल्टी पानी में 250 ग्राम चीनी और 20-30 ग्राम नमक का घोल बनाकर पशु को पिलाएं. पशुओं को समय पर टीका लगवाएं और पशु बाड़े में ठंडक बनाने के उपाय करें. ऐसे में पशुओं को लोबिया घास खिलाएं. लोबिया घास में फाइबर, प्रोटीन और औषधीय गुण होते हैं, जो पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाते हैं.
ये रोग गाय और भैंस के साथ-साथ अन्य दुधारू पशुओं में होता है. मिट्टी के द्वारा क्लोस्टरीडियम चौवई नामक जीवाणु पशुओं में फैलते हैं. जीवाणु दूषित चारागाह में चरने से आहार के साथ स्वस्थ पशु के शरीर में प्रवेश कर जाता है. साथ ही शरीर पर मौजूद घाव के ज़रिये भी यह संक्रमण पशुओं में फैलता है. लंगड़ा बुखार भी इसी तरह की बीमारी है. पशुओं को होने वाला ये बुखार काफी जानलेवा साबित होता है.
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