देश में केरल में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ने लगा है जिसके चलते अब कई राज्य भी इस खतरनाक बीमारी को रोकने के लिए सतर्क हो गए हैं.उत्तर प्रदेश में भी बर्ड फ्लू का अभी कोई मामला नहीं पाया गया है .फिर भी पशुपालन विभाग के द्वारा विशेष सतर्कता बरती जा रही है.पशुपालन विभाग और वन विभाग ने चौकसी बढ़ा दी है. वन विभाग के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार अभी प्रदेश में पक्षियों की मरने की घटनाएं नहीं मिली है.वही पक्षियों पर निगरानी रखी जा रही है.इसके अलावा चिड़ियाघर में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है. पशुपालन विभाग के निदेशक इंद्रमणि चौधरी ने बताया कि प्रदेश में बर्ड फ्लू का अभी कोई खतरा नहीं है.वही सभी पशु चिकित्सालय में बर्ड फ्लू को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के लिए निर्देश पहले से ही जारी है.
केरल में फैले बर्ड फ्लू को देखते हुए उत्तर प्रदेश में विशेष सतर्कता बरती जा रही है.वही खासतौर से नदियों और नालों के किनारे स्थित मुर्गी फार्म करने वालों को विशेष हिदायत दी गई है.पक्षियों में बर्ड फ्लू का विशेष प्रकोप होता है.यह पक्षी एक राज्य से उड़कर दूसरे राज्यों में पहुंचते हैं और बीमारी के वाहक बनते हैं.इसलिए इस बीमारी की रोकथाम के लिए प्रदेश में विशेष सतर्कता बरती जा रही है.सभी पशु चिकित्सालय में बीमारी से निपटने के लिए इंतजाम भी किए गए हैं.
एवियन इनफ्लुएंजा यानी बर्ड फ्लू एक वायरस है.यह बीमारी मुख्य रूप से पक्षियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है.बर्ड फ्लू का सबसे प्रमुख वायरस H5N1 है जो जानवरों द्वारा मनुष्य को भी प्रभावित करता है.इस वायरस के संपर्क में कोई भी मनुष्य आता है तो वह संक्रमित हो सकता है इससे प्रभावित पक्षी संक्रमित होने पर नाक ,मुंह और आंखों से विशेष स्राव होता है.मनुष्य में यह बीमारी पोल्ट्री के माध्यम से फैलती है.
एवियन इनफ्लुएंजा से संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से इंसानों को भी यह बीमारी फैल सकती है. इस बीमारी से संक्रमित होने पर इंसानों को सुखी खांसी ,गले में खराश , बंद नाक, नाक बहना थकान ,सिरदर्द, ठंड लगना ,तेज बुखार, जोड़ों में दर्द ,मांसपेशियों में दर्द के लक्षण प्रमुख रुप से दिखाई देते हैं.वह इस बीमारी से बचाव के लिए चिकन या अंडा खाने से बचें. समय-समय पर अपने हाथ को साबुन से धोते रहें .वही पक्षियों से दूर रहें
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