मुर्गियों को हर रोज दाने के साथ कंकड़-पत्थर का पिसा हुआ चूरा मिलाकर खिलाया जाता है. यह सुनकर शायद आपको अटपटा लग रहा हो, लेकिन यह हकीकत है. बिना कंकड़-पत्थर के मुर्गियों को दाना नहीं खिलाया जाता है. अंडा पोल्ट्री फार्म से आपके घर तक सही-सलामत पहुंच जाए इसके लिए ऐसा करना जरूरी हो जाता है. मुर्गी भी इस कंकड़-पत्थर को बड़े ही आराम से हजम कर लेती है. इसके खिलाने पर किसी भी तरह की कोई रोक नहीं है.
जब हम-आप किचिन में चम्मच या चाकू से अंडा तोड़ रहे होते हैं और तीन-चार बार चम्मच मारने पर भी अंडा नहीं टूटता है तो हम यही कहते हैं कि बड़ा मजबूत अंडा है, तीन-चार बार में भी नहीं टूट रहा है. तो अंडे में यह मजबूती इसी कंकड़-पत्थर से आती है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि अगर मुर्गियों को कंकड़-पत्थर नहीं खिलाए तो पोल्ट्री से लेकर किचिन तक अंडे का पहुंचना मुश्किल हो जाएगा
पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा का कहना है कि अंडे का छिलका जितना मजबूत होगा उसे ट्रांसपोर्ट करने में उतनी ही आसानी रहेगी. साथ ही अगर छिलका मजबूत नहीं हुआ तो मुर्गी के देने के साथ ही अंडा टूट भी सकता है. वहीं एक पोल्ट्री फार्म से लेकर किचिन में पहुंचने तक कई जगह अंडे की लोडिंग और अनलोडिंग होती है. अगर ऐसे वक्त में अंडे का छिलका जरा भी कमजोर हुआ तो अंडा टूट जाएगा. इसी छिलके को पत्थर के कैल्शियम से मजबूत किया जाता है. हालांकि मुर्गियों में कैल्शियम की मात्रा को दवाई से भी बढ़ाया जाता है. लेकिन बहुत ज्यादा मात्रा में दवाई भी नहीं दे सकते हैं. अगर मुर्गी को सही मात्रा में कैल्शियम नहीं मिला तो उसके अंडे का छिलका एकदम ऐसा आएगा कि आप उसे उंगलियों से दबाकर तोड़ सकते हैं.
पोल्ट्री एक्सपर्ट पंकज का कहना है कि सड़क बनाने के दौरान जो छोटी सी ग्रे कलर की गिट्टी इस्तेमाल की जाती है, उसी का चूरा पोल्ट्री फार्म में इस्तेमाल किया जाता है. इस गिट्टी के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े और इसका पिसा हुआ बुरादा दाने में मिलाया जाता है. फीड एक्सपर्ट के मुताबिक एक किलो दाने में 100 ग्राम तक पिसे हुए कंकड़-पत्थर मिलाए जाते हैं. हर पोल्ट्री फार्म में कंकड़-पत्थर और उसके चूरे की 100-150 बोरियां रखी हुई मिल जाएंगी.
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