खासतौर पर दुधारू पशुओं के इलाज के लिए दवाई से लेकर वैक्सीनेशन तक सब सुविधाएं हैं. जो खतरनाक और जानलेवा बीमारी हैं तो उसकी वैक्सीन लगाई जाती है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता था कि पशुपालक अपने बीमार पशु का इलाज नहीं करा पाता है. वजह हॉस्पि टल का दूर होना और प्राइवेट डॉक्टर के पास जाए तो महंगी-महंगी दवाईयां. लेकिन अपनी सरकार के 100 दिन पूरे करने वाली राजस्थान के सीएम का कहना है कि अब हमारे राज्य में पशु दर्द से नहीं कराहते हैं.
पशुओं के बाड़े से लेकर हाईटेक हॉस्पि ट तक में उनका इलाज किया जा रहा है. यहां तक की पशुपालकों का एक रुपये तक खर्च नहीं हो रहा है. एक फोन कॉल पर उन्हें महंगा इलाज उनके पशु बाड़े में ही मिल जाता है. बीमारी कोई बड़ी हो तो हॉस्पिलटल में उनके पशुओं का इलाज हाईटेक मशीनों की मदद से किया जा रहा है.
राजस्थान के पशुपालन विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार प्रदेश में पशु चिकित्सा सेवाओं को बढ़ाने के लिए हर तरह की कोशिश कर रही है. हमारी कोशिश है कि सभी जिलों की सभी ग्राम पंचायतों में विभागीय पशु चिकित्सा संस्था मौजूद हो, जिससे स्थानीय पशुपालकों को उनके नजदीक ही पशु चिकित्सा सेवाएं मिल सकें. इसी कोशिश में 25 प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालयों को मल्टी परपस पशु चिकित्सालय में, 51 पशु चिकित्सालयों को प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय में और 101 पशु चिकित्सा उपकेन्द्रों को पशु चिकित्सालयों में बदला गया है.
साथ ही दो नए पशु चिकित्सालयों और 500 नए पशु चिकित्सा उपकेन्द्र खोले जाने को भी मंजूरी दी गई है. इतना ही नहीं इलाज के दौरान डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी न हो इसके लिए इन संस्थानों के लिए कुल 1637 नए पद स्वीकृत किए गए हैं. साथ ही साल 2019 से लम्बित भर्ती प्रक्रिया पूरी कर 726 पशु चिकित्साधिकारियों को नियमित नियुक्ति दी गई है.
प्रथम चरण में 2000 पशु सखियों को ए-हेल्प वर्कर के रूप में स्थापित किये जाने के लिए जिलेवार प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर दिए गये हैं. पशुधन परिचर परीक्षा का पाठयक्रम जारी कर 5934 पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित की जा चुकी है. साथ ही पशुधन सहायक के 2540 पदों पर भर्ती के लिए कर्मचारी चयन बोर्ड को दस्तावेज भेजे जा चुके हैं.
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