
Poultry Farming: अंडे-मांस की बढ़ती मांग ने पोल्ट्री फार्मिंग को एक नया फायदेमंद बिजनेस बना दिया है. अब कई किसान और शहरों के लोग तक पोल्ट्री फार्मिंग करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. आज बहुत से युवा पोल्ट्री से जुड़ा कारोबार शुरू करना चाहते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वो अपना व्यवसाय नहीं शुरू कर पाते हैं. कई बार शुरू भी करते हैं, लेकिन सही जानकारी न होने पर नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थिति ICAR - Central Avian Research Institute, Izatnagar, Bareilly में पांच दिवसीय कुक्कुट पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. जिसका प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 अगस्त से 25 अगस्त तक चलेगा.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ब्रायलर, लेयर, टर्की, बटेर, देसी फाउल फार्मिंग और उससे संबंधित विषयों पर संस्थान के अनुभवी वैज्ञानिक जानकारी देंगे. यह कार्यक्रम छोटे स्तर पर पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करने वालों के बिल्कुल सही मौका है. बरेली केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के प्रिंसिपल साइंटिस्ट एमपी सागर ने किसान तक से बातचीत में बताया कि पोल्ट्री यूनिट शुरू करने के लिए जरूरी प्रबंधन तकनीकी, आहार प्रबंधन, कुक्कुट बीमारियों में आयुर्वेदिक उपचार, मार्केटिंग, बीमा, पोल्ट्री उत्पादों की प्रोसेसिंग की तकनीक की जानकारी होगा बहुत जरूरी होता है.
सागर ने बताया कि इच्छुक उम्मीदवार इस लिंक (https://forms.gle/uE8GZxSgPTGaf3Nc8) पर क्लिक करके रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. क्लिक करने पर पंजीकरण फार्म खुलेगा, जिसे भरकर सबमिट (जमा) करना होगा. इसके लिए उम्मीदवार का जीमेल अकाउंट जरूरी है. फार्म भरने से पहले, प्रशिक्षण फीस का भुगतान संस्थान की वेबसाइट, https://cari.icar.gov.in/payment.php पर दिए गए पेमेंट गेटवे के माध्यम से करना होगा और रसीद की सॉफ्ट कॉपी को पंजीकरण फॉर्म में अपलोड करना होगा.
यह भी पढ़ें- बरसात में बीमार पशु नहीं जा सकता अस्पताल तो डॉक्टरों की टीम आएगी बाड़े में, जानें डिटेल
उन्होंने कहा कि अपनी पासपोर्ट साइज की फोटो, आधार कार्ड, शिक्षा प्रमाण पत्र (अंतिम कक्षा/डिग्री) जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए) की सॉफ्ट कॉपी तैयार करके पंजीकरण फार्म में अपलोड कर दें. बाद में पंजीकरण फॉर्म भरें और सबमिट करें. इसके बाद आपको ईमेल से प्रशिक्षण के लिए लिंक भेजा जाएगा. सामान्य और पिछड़े वर्ग के लिए प्रशिक्षण शुल्क 1000 रुपए और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए 600 रुपए शुल्क रखा गया है. पोल्ट्री फार्मिंग का प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 अगस्त से 25 अगस्त तक चलेगा.
वैज्ञानिक डॉ एमपी सागर ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान बैंकों से लोन लेने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने और सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के आखिर में प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे, जिसकी मदद से अपना पोल्ट्री व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंकों से लोन ले सकते हैं.
यह भी पढ़ें- Lucknow Zoo: लखनऊ चिड़ियाघर से आई बुरी खबर! इस जानवर की मौत से दर्शकों में छाई मायूसी
दरअसल, बाजार में देसी मुर्गियां और इनके अंडों की खूब डिमांड रहती है. ये मुर्गियां खेती के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ने में मददगार होती हैं. गांव में ज्यादातर देसी मुर्गियों को छोटे पैमाने पर ही रखा जाता है. बैकयार्ड में ये मुर्गियां पाली जाती है. इनके अंडे किसानों की आय बढ़ाते हैं. देसी मुर्गियों का ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती.
इन मुर्गियों को कोई खास आहार नहीं देना पड़ता, बल्कि किचन वेस्ट, दाने, फल-सब्जियां और जमीन पर रेंगने वाले कीड़े-मकौडों से ही पेट भर लेती है. छोटे पैमाने पर खेती करने वाले किसान ज्यादातर देसी मुर्गियां पालते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today