डेयरी पशुओं के लिए बेहद घातक है पाला, निमोनिया बीमारी से ऐसे करें बचाव

डेयरी पशुओं के लिए बेहद घातक है पाला, निमोनिया बीमारी से ऐसे करें बचाव

निमोनिया आमतौर पर फेफड़ों के संक्रमण के कारण होता है, जो किसी भी जानवर में हो सकता है. हवा में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. कई बार फंगस के कारण भी फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं.

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डेयरी पशुओं के लिए बेहद घातक है पाला, निमोनिया बीमारी से ऐसे करें बचावनिमोनिया बीमारी से ऐसे करें बचाव

सर्दी के मौसम में सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि जानवरों और फसलों को भी ठंड का खतरा रहता है. ठंड के मौसम में पाले या ओस के कारण फसलें खराब हो जाती हैं. ठंड का असर पशुओं के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिल रहा है. जिसके कारण उन्हें कई बीमारियों का खतरा रहता है. खासकर पाला पशुओं के लिए बहुत हानिकारक होता है. यह पशुओं को निमोनिया का शिकार बनाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें बचाव. 

क्या है निमोनिया?

निमोनिया आमतौर पर फेफड़ों के संक्रमण के कारण होता है, जो किसी भी जानवर में हो सकता है. हवा में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. कई बार फंगस के कारण भी फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. यदि कोई जानवर पहले से ही फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग जैसी किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उन्हें गंभीर संक्रमण यानी गंभीर निमोनिया होने का खतरा होता है.

सांस लेने में होती है दिक्कत

निमोनिया में एक या दोनों फेफड़े कफ से भर जाते हैं. जिस वजह से फेफड़ों को ऑक्सीजन लेने में दिक्कत होने लगती है. बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया को दो से चार सप्ताह में ठीक किया जा सकता है, जबकि वायरस से होने वाले निमोनिया को ठीक होने में अधिक समय लगता है.

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क्या हैं न्यूमोनिया के लक्षण?

छोटे जानवरों में न्यूमोनिया का कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देता है. ऐसे में छोटे जानवर अगर बीमार दिखें, तो उन्हें निमोनिया हो सकता है. सर्दी, तेज बुखार, खांसी, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत ये सभी निमोनिया के मुख्य लक्षण हैं.

कैसे करें बचाव?

  • जानवरों को साफ कमरे में रखें. ध्यान रखें कि जानवरों के कमरे में सूरज की रोशनी जरूर आनी चाहिए. कमरा हवादार होना चाहिए.
  • कमरे को गर्म रखें और जानवरों के शरीर, खासतौर पर छाती और पैरों को गर्म रखने के लिए उन्हें अच्छी तरह से ढकें.
  • अधिकांश निमोनिया का इलाज अस्पताल में भर्ती किए बिना, डॉक्टर की देखरेख में किया जा सकता है.
  • आमतौर पर मौखिक एंटीबायोटिक्स, आराम, तरल पदार्थ और घरेलू देखभाल पूरी तरह से ठीक होने के लिए पर्याप्त हैं.
  • टेट्रासाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक्स 15-20 मिलीग्राम/किग्रा वजन पर दी जानी चाहिए. पशुओं को वजन के आधार पर स्ट्रोटोपेनिसिलिन 25 मिग्रा/किग्रा तथा एम्पीसिलीन एवं क्लोक्सासिलिन 7-10 मिग्रा युक्त दवा देनी चाहिए.
  • डेक्सामेथासिन जैसे स्टेरॉयड बड़े जानवरों के लिए 5 मिलीलीटर और छोटे जानवरों के लिए 2-3 मिलीलीटर की मात्रा में दिए जाने चाहिए.
  • एंटीहिस्टामाइन और एनाल्जेसिक आवश्यकतानुसार और डॉक्टर की सलाह पर दी जानी चाहिए.
  • ब्रोन्कोडिलेटर और कफ निस्सारक आयुर्वेदिक औषधियां इसी प्रकार देनी चाहिए.

ब्रुकोप्राइटिर- 30-40 ग्राम दो बार

कैसलोन- 50-60 ग्राम दो बार

कोफलेक्स- 40-50 ग्राम दो बार

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