बिहार में किसान अब लीची के बागान में बकरी पालन करेंगे. खास बात यह है इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र किसानों को ट्रेनिंग दे रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे लीची किसानों 10 गुना फायदा होगा. दरअसल, बिहार में एक हजार से 1200 रुपये में छोटा सा एक बकरी का बच्चा मिल जाता है. एक साल पालने के बाद यह बकरी 12 से 13 हजार रुपये में बिकता है. यानी लागत के मुकाबले बहुत ज्यादा मुनाफा है.
अभी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में मिंटू कुमार बकरी फार्मिंग को लेकर किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि लीची के बागान में बकरी पालन करना किसानों के लिए फायदेमंद है. देश और विदेशों में मीठी और रसीली लीची के लिए प्रसिद्ध बिहार के लीची के बगीचों में अगर आपको मुर्गी और बकरी दिखे तो चौंकिएगा नहीं, क्योंकि अब लीची किसान अपने बगीचे में बकरी पालन करने लगे हैं. इससे न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि लीची के पौधों को भी कीड़ों से बचाया जा सकेगा.
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कभी- कभी मौसम की बेरुखी से लीची का उत्पादन प्रभावित होता है. इससे किसानों को लाभ के बजाए आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में लीची किसान अपने बजट के हिसाब से अपने लीची के बगीचे में बकरे पालन कर सकते हैं. बकरी के बीट से लीची के पेड़ों को भी लाभ मिलता है. अगर किसान चाहें तो बड़े पैमाने बकरी का पालन शुरू कर सकते हैं. क्योंकि बगीचे में बकरियों को चारा भी आसानी से मिल जाता है. बकरियां लीची के पत्ते बड़े ही चाव के साथ खाती हैं.
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास कुमार दास का दावा है कि कम खर्च में ऐसा कर किसान ज्यादा लाभ कमा सकेंगे. बिहार की शाही लीची देश और विदेशों में भी चर्चित है. शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय सहित कई जिलों में शाही लीची के बाग हैं, लेकिन लीची का सबसे अधिक उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है.
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