अनाज की नया फसल कटने के साथ ही बाजार में पशुओं के लिए नया भूसा भी आता है. पशुओं की खुराक में सूखे चारे के रूप में भूसे का ही इस्तेमाल किया जाता है. लेकनि एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो नया भूसा अपने साथ कुछ बीमारियां भी लाता है. अगर कुछ जरूरी टिप्स अपनाकर नया भूसा पशुओं को नहीं खिलाया गया तो गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी उन्हें कई तरह की गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इसमे जो सबसे आम बीमारी है वो पाचन संबंधी कब्ज या बंधा होना या दस्त लगने की है.
ये दिखने में तो आम बीमारी हैं, लेकिन कई बार अनदेखी के चलते ये बड़ी परेशानी भी बन जाती हैं. ऐसे में पशुओं को डॉक्टर के पास तक ले जाने की जरूरत पड़ जाती है. हालांकि कुछ घरेलू उपचार से भी पशुओं बीमारियों में आराम दिया जा सकता है. ये भी सच है कि सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में पशु बहुत ज्यादा बीमार होते हैं. अगर ठीक से इनकी देखरेख कर ली जाए तो हम पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Animal Feed: बच्चा देने के बाद ऐसे बढ़ाएं भैंस का वजन, नहीं तो कम जो जाएगा दूध उत्पादन
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं का पेट चार हिस्सों में बंटा होता है. जो रूमन, रेटिकुलम, ओमेंसम और अबोमेसम नाम से जाने जाते हैं. खास बात ये है कि जुगाली करने वाले पशुओं में चारे का पाचन सूक्ष्म जीवों द्वारा फर्मेटेड किया जाता हैं. आहार में एकदम बदलाव करने से सूक्ष्म जीवो का रूमन में संतुलन बिगड़ जाता हैं और इसके चलते पशुओ में पाचन संबंधी परेशानियां होने लगती हैं.
नया भूसा एकदम से पशु आहार में शामिल ना करें.
नया भूसे की मात्रा धीरे-धीरे सात से दस दिनों में पशुओं की खुराक में बढ़ाते रहें.
पुराने भूसा को नया भूसा आने तक कुछ मात्रा में बचा कर रखे और उसे नये भूसा के साथ मिला कर दें.
शुरुआत में पुराने भूसा की मात्रा ज्यादा रखें और धीरे-धीरे नये भूसा की मात्रा बढ़ाते जाएं.
नये भूसे को छान कर कुछ घंटे भिगो कर भी रख सकते हैं. ऐसा करने से पशु आसानी से पचा लेता है.
नया भूसा खिलाते वक्त पशुओं को सेंधा नमक, हरड़, हींग भी खिला सकते हैं.
पशु का पाचन बढ़ाने के लिए प्रोबायोटिक जैसे यीस्ट कल्चर आदि चाटने के लिए दे सकते हैं.
पशु चिकित्सक की सलाह से पशु को कब्ज सही करने के लिए अरंडी का तेल, पैराफीन, अलसी का तेल पिला सकते हैं.
रोज 20 ग्राम प्रति 100 किलो शरीर के वजन के अनुसार खिलाने से पशुओं की कब्ज सही हो जाती है.
अफारा हो तो 200 एमएल अरंडी के तेल को गरम पानी के साथ अच्छे से मिला कर पशुओं को हर चार से छह घंटों के अंतराल पर पिला सकते हैं.
पशुओ को दस्त लगने की स्थिति मे नीम, अनार, अमरूद के पत्तो, सूखी अधरक व गुड़ के साथ दे सकते हैं.
कोई भी ज़हरीली दवा (कीटनाश्क स्प्रे) आदि भूसा के साथ स्टोर में न रखें.
मशीनों के चलते गेंहू कटाई के दौरान भूसा में सूल, मिट्टी की मात्रा आने से छानना जरूरी है.
ये भी पढ़ें: डेटा बोलता है: बढ़ते दूध उत्पादन से खुला नौकरियों का पिटारा, जानें कैसे
गर्मियों के दौरान पशुओं को खुराक दिन के ठंडे समय में यानि सुबह-शाम में ही दें.
भैंस का रंग काला और पसीने की सीमित ग्रंथियां होने से गर्मी का तनाव उन्हें ज्यादा होता है. इसलिए दिन में दो-तीन बार जरूर नहलाएं.
संभव हो तो 24 घंटे साफ और ठंडा पानी पिलाएं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today