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307 दिनों में 2000 लीटर दूध देती है ये भैंस, पालने का खर्च भी है कम

307 दिनों में 2000 लीटर दूध देती है ये भैंस, पालने का खर्च भी है कम

ग्रामीण इलाकों में आज भी भैंस पालन को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है. दरअसल, अधिकतर भैंसें कम देखभाल में भी अधिक दूध देती हैं. यही कारण है कि व्यवसाय के नजरिए से भैंस पालन को अन्य पशुओं की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि किस नस्ल की भैंस को पालना सही रहेगा?

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ये है मुर्रा नस्ल की भैंस ये है मुर्रा नस्ल की भैंस

भारत ना सिर्फ कृषि में बल्कि पशुपालन में भी तेजी से आगे बढ़ता हुआ देश है. छोटे और सीमांत किसान आज के समय में अपना जीवन चलाने के लिए पशुपालन पर निर्भर हैं. जिस वजह से पशुपालकों और पशुपालन में तेजी से बढ़त होती दिखाई दे रही है. पशुपालन एक उभरता हुआ रोजगार है जो ना सिर्फ मुनाफा और बल्कि दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा कर रहा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में लगभग 2 करोड़ लोग आजीविका के लिये पशुपालन पर निर्भर हैं. पशुपालन क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 4% और कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 26% का योगदान करता है. ऐसे में पशुपालक उन पशुओं को पालना अधिक पसंद करते हैं जिनसे उन्हें अधिक मुनाफा मिले. इसके लिए सही नस्ल के पशुओं का चयन बहुत जरूरी है. अगर आप भैंस पालन कर रहे हैं तो ध्यान रहे की सही नस्ल चुने. भैंसों में मुर्रा नस्ल (murrah buffalo) की भैंस सबसे अधिक लोकप्रिय है

भैंस पालन को दी जाती है प्राथमिकता

ग्रामीण इलाकों में आज भी भैंस पालन को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है. दरअसल, अधिकतर भैंसें कम देखभाल में भी अधिक दूध देती हैं. यही कारण है कि व्यवसाय के नजरिए से भैंस पालन को अन्य पशुओं की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि किस नस्ल की भैंस को पालना सही रहेगा? तो इसी सवाल का जवाब आज हम लेकर आए है. दरअसल भैंस कि कुछ नस्ल ऐसे भी है जो 307 दिनों में 2000 लीटर दूध देती है और इसे पालने में खर्च भी कम आता है. तो आइए जानते हैं इस नस्ल के बारे में विस्तार से.

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दुनिया की सबसे अधिक दुधारू नस्ल है मुर्रा!

मुर्रा भैंस (murrah buffalo) खासियत के मामले में बहुत आगे है. मुर्रा भैंस को दुनिया की सबसे अधिक दुधारू भैंस कहा जाता है जो लगभग एक साल में 2000 से 3000 लीटर दूध देती है. जब भी भैंस की नस्ल की बात आती है तो मुर्रा नस्ल (murrah buffalo) की भैंस को सबसे पहले याद किया जाता है. यह भैंस पालने के लिए सबसे अच्छी भैंस मानी जाती है. अब सवाल ये उठता कि मुर्रा भैंस की पहचान कैसे करें?

कैसे करें मुर्रा भैंस की पहचान
कैसे करें मुर्रा भैंस की पहचान

कैसे करें मुर्रा भैंस की पहचान?

इस नस्ल के भैंसों का रंग काला होता है. इनका सिर छोटा और सींग अंगूठी के आकार के होते हैं. लेकिन सिर, पूंछ और पैरों पर सुनहरे रंग के बाल पाए जाते हैं. इनकी पूंछ लम्बी और पिछला भाग सुविकसित होता है.

सबसे अधिक कहां पाई जाती है मुर्रा नस्ल

यह सबसे प्रसिद्ध नस्ल है. जिसका जन्मस्थान हरियाणा राज्य का रोहतक जिला है. अब यह अधिकतर हरियाणा के हिसार, रोहतक और जिंद तथा पंजाब के पटियाला और नाभा जिलों में पाया जाता है. इसे काली और खुंडी और डेली के नाम से भी जाना जाता है. इस नस्ल का रंग काला तथा पूंछ का निचला भाग सफेद होता है. इसके सींग छोटे और नुकीले, पूंछ पैरों तक लंबी, गर्दन और सिर पतला, थन भारी और थन लंबे होते हैं. इसकी घुमावदार नाक इसे अन्य नस्लों से अलग बनाती है. यह एक ब्यांत में 2000-2200 लीटर दूध देती है. साथ ही दूध में वसा की मात्रा 7 प्रतिशत होती है. इस नस्ल के बैल का औसत वजन 575 किलोग्राम और भैंस का औसत वजन 430 किलोग्राम होता है.

मुर्रा नस्ल की भैंस को कितना दे चारा 

मुर्रा नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार ही भोजन दें. फलीदार चारा खिलाने से पहले उसमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें. ताकि कोई पेट की समस्या या बदहजमी न हो. आवश्यकता के अनुसार खुराक नीचे दी गई है.

अन्य चारा

  • अनाज - मक्का/गेहूं/जौ/जई/बाजरा
  • तिलहन खली - मूंगफली/तिल/सोयाबीन/अलसी/मुख्य/सरसों/सूरजमुखी
  • उत्पाद द्वारा - गेहूं की भूसी/चावल पॉलिश/बिना तेल के चावल पॉलिश
  • धातु - नमक, धातु पाउडर

 सस्ते भोजन के लिए कृषि, औद्योगिक और एनिमल वेस्ट का उपयोग करें

  • शराब कारखानों से बचा हुआ अनाज
  • खराब आलू
  • सूखी मुर्गी की बूंदें