NDDB ने साइंटिस्ट, छात्र, बिजनेसमैन और पशुपालकों को बताई मील का पत्थर बनने की कहानी 

NDDB ने साइंटिस्ट, छात्र, बिजनेसमैन और पशुपालकों को बताई मील का पत्थर बनने की कहानी 

डॉ. मीनेश शाह का कहना है कि आज NDDB मील का पत्थर साबित हो रहा है तो उसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं और टेक्नोलॉजी है. ऑपरेशन फ्लड की कामयाबी से पूरा देश वाकिफ है. अब मिल्क रेवोल्यूशन-2 की तैयारी चल रही है.राष्ट्रीय डेयरी योजना फेस-1 इसकी गवाह है.

Advertisement
NDDB ने साइंटिस्ट, छात्र, बिजनेसमैन और पशुपालकों को बताई मील का पत्थर बनने की कहानी जीबी पंत यूनिवर्सिटी में बोलते हुए डॉ. मीनेश ने एडीडीबी के मील के पत्थर पर चर्चा की.

ऑपरेशन फ्लड की कामयाबी से पूरा देश वाकिफ है. अब मिल्क रेवोल्यूशन-2 की तैयारी चल रही है. लेकिन इसके साथ नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) भी पशुपालक और डेयरी सेक्टर के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. राष्ट्रीय डेयरी योजना फेस-1 इसकी गवाह है. हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान एडीडीबी ने वहां मौजूद साइंटिस्ट, छात्र, बिजनेसमैन और पशुपालकों को मील का पत्थर बनने की कहानी बताई. बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह ने बताया कि कैसे बोर्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए पशुपालकों की जिंदगी बदलने का काम कर रहा है. 

साथ ही पशुपालन और डेयरी से जुड़ी नई-नई टेक्नोलॉजी को भी बढ़ावा दे रहा है. बायो गैस और गऊ शॉर्ट (GauSort) ऐसी ही एक तकनीक है. मौका था राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी और जीबी पंत यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम का. इस मौके पर डॉ. शाह ने श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के आंदोलन की भी चर्चा की. 

डॉ. शाह ने बताया ऐसे मील का पत्थर बना NDDB

“विकसित भारत के लिए कृषि में अग्रणी विज्ञान और प्रौद्योगिकियां” विषय पर बोलते हुए डॉ. शाह ने बताया कि आज NDDB मील का पत्थर साबित हो रहा है तो उसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं और टेक्नोलॉजी है. जैसे टेक्नोलॉजी की बात करें तो जीनोमिक चयन के लिए GAUCHIP और MAHISHCHIP, सेक्स-सॉर्टेड वीर्य के लिए GauSort और लागत कम करने वाला स्वदेशी IVF है.

इतना ही नहीं टेक्नोलॉजी की मदद से ही डेयरी सेक्टर में पशुपालक की इनकम को बढ़ाने के घरेलू बायोगैस प्लांट, ज़कारियापुरा मॉडल, बायो-सीएनजी और उर्वरक के लिए बनास मॉडल और डेयरी प्लांट की तरह काम कर रहे हैं. डेयरी प्लांट की एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी गोबर और टेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है. बायो उर्वरक उत्पादन के लिए वाराणसी मॉडल जैसे स्केलेबल बायोगैस और खाद मूल्य श्रृंखला मॉडल पर काम हो रहा है.

मिल्क रेवोल्यूशन-2 पर भी हुई चर्चा

कार्यक्रम के दौरान मिल्क रेवोल्यूशन-2 पर भी खूब चर्चा हुई. डॉ. शाह ने इस मौके पर मिल्क रेवोल्यूशन-2 के बारे में बोलते सरकार के विजन और सहकार से समृद्धि के लिए एनडीडीबी की लगन को दोहराया. वहीं एमडीसीएस के माध्यम से सहकारी कवरेज का विस्तार किया और एनसीओएल और बीबीएसएसएल जैसी बहु-राज्य सहकारी समितियों को मजबूत किया जिससे डेयरी और कृषि गतिविधियों की देखरेख की जा सके. उत्पादन और प्रोसेसिंग से लेकर प्रमाणीकरण, भंडारण और निर्यात तक पर प्रकाश डाला और डॉ. कुरियन के दूरदर्शी दृष्टिकोण, शासन और साहसिक निर्णय लेने पर जोर दिया.

ये भी पढ़ें- Meat Production: देश की बड़ी यूनिवर्सिटी ने बताया, क्यों बढ़ रहा मीट का उत्पादन और डिमांड  

ये भी पढ़ें- Bird Flu: बर्ड फ्लू में भी खाया जा सकता है अंडा, जानें इस पर क्या बोले पोल्ट्री एक्सपर्ट

 

POST A COMMENT