हमारे देश में सबसे ज्यादा मुर्गी का अंडा खाया और बेचा जाता है. अंडों के लिए ही खासतौर पर मुगर्यिों का पालन भी होता है. मुर्गियों की कई ऐसी नस्ल हैं जो अंडा देती हैं. देसी मुर्गियों का अंडा सबसे ज्यादा महंगा बिकता है. कुछ मुर्गियां कम अंडा देती हैं तो कुछ ज्यादा. प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए डॉक्टर अंडे को बेहतर विकल्प बताते हैं. अंडा वेज है या नॉनवेज इस लड़ाई के बीच इसे पंक्षी फल भी कहा जाता है. लेकिन पोल्ट्री फार्म संचालक अंडे को वेजिटेरयिन ही बताते हैं.
अंडे की तरफ लोगों को जागरुक करने और अंडे की खपत बढ़ाने के लिए टीवी पर विज्ञापन की मदद से ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’ का नारा दिया जाता है. नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) इस विज्ञापन को चलवाती है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में 26 करोड़ मुर्गियां अंडे की डिमांड को पूरा करती हैं.
वैसे तो सभी नस्ल की मुर्गियां अंडे देती हैं. कोई कम और कोई ज्यादा देती है. लेकिन लेअर बर्ड जिसे कृषि लेअर भी कहा जाता है साल में सबसे ज्यादा अंडे देने वाली मुर्गी है. यह मुर्गी एक साल में 290 तक अंडे देती है. छोटे-बड़े हर तरह के पोल्ट्री फार्म में भी इसी मुर्गी को अंडों के लिए पाला जाता है. रिटेल मार्केट में आज इसका एक अंडा 7 रुपये से लेकर 7.5 रुपये तक का बिक रहा है. बड़ी-बड़ी कंपनियां इस मुर्गी का चूजा यानि चिक्स बेचती हैं. बाजार के हिसाब से आजकल इसके एक चूजे का रेट 40 से 45 रुपये तक है.
लेअर बर्ड के अलावा और अंडे देने वाली जो मुर्गियों की नस्ल हैं उन्हें देसी मुर्गी कहा जाता है. देसी मुर्गियों की 8 ऐसी नस्ल हैं जो अंडे देती हैं. जैसे वनश्री एक साल में 180 से 190 तक अंडे देती है. इसके अलावा ग्रामप्रिया 160 से 180, निकोबरी 160 से 180, कड़कनाथ 150 से 170, सरहिंदी 140 से 150, घागुस 100 से 115, वनराजा 100 से 110 अंडे देती है. असील मुर्गियों की एक ऐसी नस्ल है जो सालभर में 60 से 70 अंडे देती है. कड़कनाथ का अंडा इस सीजन में 30 से 35 रुपये का बिक रहा है.
देशी मुर्गे-मुर्गी में असील एक खास नस्ल है. हालांकि देशी में कड़कनाथ, वनश्री, निकोबरी, वनराजा, घागुस और श्रीहिंदी भी है. लेकिन असील की अपनी एक खास पहचान है. महंगा होने के चलते बैकयार्ड पोल्ट्री के तहत यह पाले जाते हैं. इसका मीट बहुत कम खाया जाता है. लेकिन अंडे की डिमांड ज्यादा रहती है. सर्दियों में इसका अंडा 100 रुपये तक का बिक रहा है. दवाई के तौर पर भी असील का अंडा खाया जाता है. बाकी डिमांड के हिसाब से मुर्गी वाला जो मांग ले. हैचरी के लिए सरकारी केन्द्रों से ही असील मुर्गी का अंडा 50 रुपये तक का मिलता है. असील मुर्गी पूरे साल में सिर्फ 60 से 70 अंडे देती है.
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