Kosali Cow: ये है छत्तीसगढ़ की इकलौती रजिस्टर्ड गाय, दूध की मिठास में चीनी भी फेल, जानें- पहचान और विशेषताएं

Kosali Cow: ये है छत्तीसगढ़ की इकलौती रजिस्टर्ड गाय, दूध की मिठास में चीनी भी फेल, जानें- पहचान और विशेषताएं

Kosali Cow Dairy Farming: कोसली गाय छत्तीसगढ़ की एक मात्र रजिस्टर्ड गाय है. वहीं इसको मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और जांजगीर जिलों के आसपास के क्षेत्रों में पाला जाता है. एनडीडीबी के अनुसार कोसली नस्ल की गाय एक ब्यान्त में अधिकतम 250 लीटर तक दूध देती है. इनके दूध में अधिकतम फैट की मात्रा 4.5 प्रतिशत पाया जाता है. ऐसे में कोसली गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

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Kosali Cow: ये है छत्तीसगढ़ की इकलौती रजिस्टर्ड गाय, दूध की मिठास में चीनी भी फेल, जानें- पहचान और विशेषताएंकोसली गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर

Kosali Cow Dairy Farming: कोसली एक 'देसी' मवेशी नस्ल है जो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के मध्य मैदानी इलाकों में पाई जाती है. इस क्षेत्र का प्राचीन नाम कौशल था, जो भगवान श्रीराम के मामा के नाम पर रखा गया था, और इसलिए इसका नाम कोसली पड़ा. कोसली गाय छत्तीसगढ़ की एक मात्र रजिस्टर्ड गाय है. वहीं इसको मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और जांजगीर जिलों के आसपास के क्षेत्रों में पाला जाता है. वहीं यह गाय छोटे कद काठी की होती है. इस गाय के मूत्र में यूरिया, खनिज लवण, एंजाइम व फसलों के लिए उपयोगी अन्य तत्वों की अधिकता होती है. खेतों में इसका छिड़काव कर कीट नियंत्रण किया जाता है. इस गाय का पालन छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए काफी लाभकारी है. इसके दूध में मिठास अधिक होती है. इनमें बच्चे पैदा करने की क्षमता अधिक होने के साथ इन्हें रोग भी कम होते हैं.

एनडीडीबी के अनुसार कोसली नस्ल की गाय एक ब्यान्त में अधिकतम 250 लीटर तक दूध देती है. इनके दूध में अधिकतम फैट की मात्रा 4.5 प्रतिशत पाया जाता है. ऐसे में कोसली गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

कोसली गाय की पहचान और विशेषताएं
कोसली गाय की पहचान और विशेषताएं

कोसली गाय की पहचान और विशेषताएं

•    दो-तिहाई मवेशियों के कोट का रंग हल्का लाल पाया जाता है, जबकि एक तिहाई का रंग सफेद-भूरा होता है. 
•    सिर चौड़ा होता है, जबकि माथा सपाट और सीधा होता है.
•    कूबड़ छोटे से मध्यम आकार का होता है.
•    पैर सीधे, छोटे और मजबूत होते हैं.
•    खुर कठोर और मजबूत और काले रंग के होते हैं.
•    सींग ठूंठदार होते हैं, सीधे उभरते हैं, फिर पोल से बाहर, ऊपर और अंदर की ओर मुड़े होते हैं.
•    थन छोटा और कटोरे के आकार का होता है.
•    थूथन, पलकें और पूंछ स्विच काले रंग के होते हैं.
•    बैलों की ऊंचाई औसतन 121 सेमी और गायों की ऊंचाई 103 सेमी होती है.
•    बैलों की शरीर की लंबाई औसतन 126 सेमी और गायों की 102 सेमी होती है.
•    बैलों के शरीर का वजन औसतन 250-300  किलोग्राम और गायों का वजन 150-200 किलोग्राम होता है.
•    गाय एक ब्यान्त में 200-250 लीटर तक दूध देती है.
•    दूध में अधिकतम फैट की मात्रा 4.5 प्रतिशत पाया जाता है.
•    यह छोटे आकार की लेकिन मजबूत नस्ल है.

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आवास प्रबंधन और रख रखाव 

कोसली नस्ल के मवेशियों का रखरखाव व्यापक प्रबंधन प्रणाली के तहत किया जाता है, ताकि इन्हें ठंड, बारिश और तूफान से बचाया जा सके. इन मवेशियों को दिन में चरने दिया जाता है और रात में बांध दिया जाता है. इन्हें समूहों में या अकेले खिलाया जाता है. आम तौर पर इन्हें चारे को चरने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके अलावा, किसानों द्वारा स्थानीय रूप से उगाया जाने वाला चारा भी उपलब्ध कराया जाता है. दूध देने वाले और अधिक गर्भवती पशुओं को अतिरिक्त पोषण के लिए पोषक युक्त पदार्थ भी खिलाया जाता है.

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