मध्य प्रदेश देश का वह राज्य है जहां गांव के कई युवा रोजगाार की तलाश में हैं. किसी खास स्किल के न होने और सही ट्रेनिंग न मिलने की वजह से ऐसे युवा रोजगार को हासिल करने में असफल रहे हैं. लेकिन राज्य में एक ऐसी स्कीम है जिसकी वजह से युवाओं को रोजगार तो मिलता ही है साथ ही बेरोजगार होने की जो निराशा होती है, वह भी खत्म हो जाती है. राज्य सरकार की तरफ से एक गौसेवक प्रशिक्षण योजना चलाई जा रही है. विशेषज्ञों की मानें तो इस योजना को शुरू करने से मध्य प्रदेश सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं.
इस स्कीम के जरिए राज्य के पढ़ें-लिखे युवाओं को जो बेरोजगार हैं उन्हें पशु चिकित्सा या वेटनरी के तौर पर ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जाती है. इस स्कीम की मदद से वो युवा जिनके पास गाय हैं, उनका गौ सेवा करने और गौवंशो को उचित समय में उपचार की सुविधा देना का भी सरकार का मकसद पूरा हो जाएगा. इस योजना की शुरुआत साल 2001 में की गई थी तब उस समय 1137 गऊ सेवकों की तरफ से पशु चिकित्सा का काम शुरू किया गया था. जून 2023 में आई सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब एक लाख युवाओं को इस योजना के तहत ट्रेनिंग देने का लक्ष्य सरकार ने तय किया था.
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इस योजना का संचालन मध्य प्रदेश सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग की तरफ से किया जाता है. ट्रेनिंग के बाद प्रशिक्षित युवा गांवों में पशुओं को प्रारंभिक चिकित्सा सुविधा प्रदान कर अपने लिए रोजगार शुरू कर सकते है. इससे पशुओं को सही समय में प्रारंभिक चिकित्सा सुविधा भी मिल सकेगी. ट्रेनिंग के दौरान जिन युवाओं का चयन होता है उन्हें हर महीने 1000 रुपए का स्टायपेंड दिया जाता है. साथ ही युवाओं को 1200 रुपये की एक किट भी दी जाती है. मध्य प्रदेश गौसेवक प्रशिक्षण योजना में युवाओं को सिर्फ छह महीने के लिए ही ट्रेनिंग दी जाती है.
छह महीने बाद लाभार्थी फिर से ट्रेनिंग के लिए अप्लाई कर सकते हैं. रिफ्रेशर लाभार्थी का चयन वरिष्ठता के आधार पर किया जायेगा. मध्य प्रदेश गौसेवक प्रशिक्षण योजना में 10वीं पास और 18 वर्ष से 35 वर्ष के युवा की आवेदन कर सकते है. जैसा की योजना के नाम से ही पता चल रहा है की प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को गौसेवक कहा जायेगा.
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